आरती प्रभाकर : अमेरिका के राष्ट्रपति की मुख्य विज्ञान सलाहकार
नई दिल्ली, रविवार, 26 जून 2022। भारतीय प्रतिभाओं की रोशनी अब दुनिया के तमाम देशों में फैल चुकी है और वह कई देशों में शीर्षतम पदों पर पहुंच रही हैं। इस कड़ी में अगला नाम आरती प्रभाकर का है, जिन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन की मुख्य विज्ञान सलाहकार के रूप में व्हाइट हाउस ऑफ़िस ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी पॉलिसी (ओएसटीपी) का निदेशक बनाया गया है। आरती प्रभाकर का जन्म 2 फरवरी, 1959 को हुआ था और उनका परिवार जब नयी दिल्ली से अमेरिका के लिए रवाना हुआ उस समय आरती मात्र तीन बरस की थीं। उनकी मां शिकागो में सामाजिक कार्य से जुड़े विषय में डिग्री हासिल करने के लिए अपनी नन्ही सी बच्ची के साथ सात समंदर पार चली गईं।
प्रभाकर ने टेक्सास के लुबॉक में शुरूआती शिक्षा ग्रहण की और उन पर अपनी मां का गहरा प्रभाव रहा, जो बहुत छुटपन से ही उन्हें खूब पढ़ने के लिए प्रेरित करती रहीं। उन्हीं के प्रोत्साहन का नतीजा था कि आरती ने मात्र 25 वर्ष की उम्र में ‘एप्लाइड साइंस’ जैसे गूढ़ विषय में महारत हासिल की। आरती प्रभाकर की उच्च शिक्षा की बात करें तो उन्होंने टेक्सास टेक यूनिवर्सिटी से 1979 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में विज्ञान स्नातक किया। उन्होंने 1980 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ साइंस और 1984 में कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एप्लाइड फिजिक्स में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। यहां यह जान लेना दिलचस्प होगा कि वह इस प्रतिष्ठित संस्थान से एप्लाइड फिजिक्स में पीएचडी हासिल करने वाली पहली महिला थीं।
पीएचडी करने के बाद, आरती प्रभाकर 1984 से 1986 तक प्रौद्योगिकी मूल्यांकन कार्यालय के साथ काम करते हुए कांग्रेस की फैलोशिप पर वाशिंगटन चली गईं। 1986 से उन्होंने डीएआरपीए में एक प्रोग्राम मैनेजर के रूप में काम करना शुरू किया और सात वर्ष तक इस संस्थान में रहीं लेकिन जब 1993 में उन्होंने यह संस्थान छोड़ा वह माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक टेक्नोलॉजी कार्यालय की संस्थापक निदेशक बन चुकी थीं। 34 वर्ष की आयु में, प्रभाकर को राष्ट्रीय मानक और प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईएसटी) का प्रमुख नियुक्त किया गया। इस पद पर वह 1993 से 1997 तक रहीं। 1997 से 1998 तक वह मुख्य प्रौद्योगिकी अधिकारी और रेचैम की वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहीं और फिर 2000 तक इंटरवल रिसर्च की अध्यक्ष रहीं।
हरित प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी स्टार्टअप में निवेश पर उनका विशेष जोर रहा और इस दिशा में बेहतर माहौल तैयार करने के लिए 2001 में वह यूएस वेंचर पार्टनर्स में शामिल हुईं। तकरीबन दस बरस तक अपने इस महत्वाकांक्षी ओहदे पर काम करने के बाद 30 जुलाई 2012 को, वह रेजिना ई. दुगन की जगह, डीएआरपीए की प्रमुख बनाई गईं। प्रभाकर 2017-18 में स्टैनफोर्ड में सेंटर फॉर एडवांस्ड स्टडी इन द बिहेवियरल साइंसेज (सीएएसबीएस) में फेलो रहीं। 2019 में, उन्होंने समाज की चुनौतियों से निपटने के नये रास्ते तलाश करने के लिए एक गैर-लाभकारी संगठन एक्ट्यूएट की शुरुआत की।
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