कांग्रेस अगर महाराष्ट्र में निकाय चुनाव अकेले लड़ती है तो कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी: चव्हाण

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मुंबई, बुधवार, 09 जुलाई 2025। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा है कि अगर कांग्रेस मुंबई समेत राज्य में इस साल के अंत में होने वाले नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ती है तो उन्हें हैरानी नहीं होगी। चव्हाण ने ‘पीटीआई वीडियो’ को दिए साक्षात्कार में राज ठाकरे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के कार्यकर्ताओं द्वारा मराठी नहीं बोलने को लेकर लोगों पर कथित तौर पर हमले किए जाने की कुछ घटनाओं के बाद राज्य की कानून-व्यवस्था के बारे में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर भी निशाना साधा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, “कांग्रेस पार्टी का गठबंधन ‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों शिवसेना (उबाठा) और राकांपा (एसपी) से है। अगर वे किसी अन्य पार्टी, समान विचारधारा वाली पार्टी को साथ लेना चाहते हैं, तो यह उनका मामला है।”

उन्होंने कहा, "लेकिन अगर वे ऐसे लोगों के साथ गठबंधन करना चाहते हैं जो मूल रूप से कांग्रेस की विचारधारा, धर्मनिरपेक्षता की विचारधारा, आंबेडकर द्वारा संविधान में लिखी गई विचारधारा के विरोधी हैं, तो हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे।" चव्हाण ने कहा कि मुंबई और अन्य स्थानों पर स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर हाल में दिल्ली में हुई कांग्रेस की बैठक में उन्होंने एक समिति के समक्ष अपने विचार रखे, जो इस बात पर फैसला करेगी कि ‘इंडिया’ गठबंधन के सदस्यों के साथ गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा जाए या अलग से।

उन्होंने कहा, "अतीत में भी, हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन किया था, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव अलग-अलग लड़े थे, और यदि कांग्रेस पार्टी मुंबई, पुणे, नागपुर के निकाय चुनाव अलग-अलग लड़ने का फैसला करती है तो मुझे आश्चर्य नहीं होगा।" मंगलवार को मनसे और अन्य समूहों के कार्यकर्ताओं ने मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए मुंबई के निकट ठाणे के मीरा भयंदर इलाके में एक विरोध मार्च का नेतृत्व किया था। इससे पहले मराठी में बात करने से इनकार करने पर एक दुकानदार पर हमले के बाद राजनीतिक बयानबाजी बढ़ गई थी।

विरोध प्रदर्शन के बारे में पूछे जाने पर चव्हाण ने दावा किया, "एक बात बिल्कुल साफ है, यह केंद्र सरकार की नीति है, जिस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जोर देता है। वे एक राष्ट्र-एक भाषा, एक राष्ट्र-एक धर्म, एक राष्ट्र-एक चुनाव चाहते हैं। यह मानसिकता 1930 के दशक के जर्मनी, हिटलर के जर्मनी जैसी है।" चव्हाण ने कहा कि वे अब भी "इस मानसिकता को थोपने" की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अब, महाराष्ट्र के लोग केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ क्यों उठ खड़े हुए, इसका कारण कक्षा एक से (स्कूलों में) हिंदी भाषा को थोपा जाना है।

उन्होंने कहा, "हम हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, हम कक्षा एक से इसे थोपे जाने के खिलाफ हैं। आपने कक्षा पांच और कक्षा छह के बाद भी इसे लागू किया है। आप छह साल के बच्चे पर शुरुआत में तीन अलग-अलग भाषाओं का बोझ नहीं डाल सकते। पर्याप्त शिक्षक नहीं हैं, पर्याप्त पाठ्यपुस्तकें नहीं हैं, और इससे अंग्रेजी या मातृभाषा पर पकड़ कमजोर होगी।’’ कांग्रेस नेता ने कहा कि इसलिए महाराष्ट्र की पूरी जनता ने एक स्वर में हिंदी थोपे जाने का विरोध किया।

उन्होंने कहा कि अंतत: मुख्यमंत्री और राज्य सरकार को यह अहसास हुआ कि केंद्र सरकार चाहे तो भी, महाराष्ट्र में कक्षा एक से हिंदी लागू करना कठिन होगा, इसलिए उन्होंने अपने कदम पीछे खींच लिए और नीति रद्द कर दी।” चव्हान ने प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी पढ़ाने संबंधी आदेश को सरकार द्वारा वापस लेने के बाद आयोजित शिवसेना (उबाठा) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की संयुक्त रैली का जिक्र करते हुए कहा कि अब कुछ लोग जश्न मनाना चाहते हैं और इससे राजनीतिक लाभ लेना चाहते हैं, तो वे ऐसा कर सकते हैं।

चव्हाण ने कहा, "अगर दो भाई बीएमसी (बृहन्मुंबई महानगर पालिका) चुनाव लड़ने के लिए साथ आते हैं, तो यह स्वागत योग्य है।" मीरा भयंदर की घटना को लेकर एक सवाल के जवाब में, चव्हाण ने कहा कि उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि विरोध प्रदर्शन क्यों जारी है। उन्होंने कहा, "महाराष्ट्र सरकार ने आदेश वापस ले लिया है, महाराष्ट्र की जनता जो चाहती थी उसे स्वीकार कर लिया है, शिवसेना और मनसे जो चाहती थीं उसे मंजूर किया जा चुका है।" उन्होंने कहा, "वे जश्न मनाना चाहते हैं तो मनाएं, लेकिन आप कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकते।"

चव्हाण ने कहा, "आप उन लोगों की पिटाई नहीं कर सकते जो मराठी नहीं जानते।” उन्होंने कहा, "इसलिए मेरा मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि महाराष्ट्र की छवि एक बहुत ही कमजोर, निर्णय न लेने वाली सरकार, बहुदलीय सरकार के रूप में बन रही है, जहां कोई भी एक-दूसरे की नहीं सुन रहा। शिंदे (शिवसेना) समूह का कोई विधायक या मंत्री मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना कर रहा है। इसलिए यह सब एक संदेश है कि महाराष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है।” चव्हाण ने दावा किया कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अपने गठबंधन को बचाने में व्यस्त हैं और मंत्री मनमाने तरीके से व्यवहार कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, "लेकिन हम किसी को भी कानून-व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं देंगे। मुख्यमंत्री को कार्रवाई करनी ही होगी, चाहे वह मीरा भयंदर की घटना हो या राष्ट्रीय स्तर पर... एक भाजपा सांसद ने गलत बात की है। गृह मंत्री अमित शाह को उस सांसद के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए, लेकिन वह ऐसा नहीं करेंगे, क्योंकि वह अपना एजेंडा चला रहे हैं।” झारखंड से भाजपा के लोकसभा सदस्य निशिकांत दुबे ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा था, "हिंदी भाषी लोगों को मुंबई में मारने वालों में अगर हिम्मत है तो महाराष्ट्र में उर्दू भाषियों को मार कर दिखाओ। अपने घर में तो कुत्ता भी शेर होता है? कौन कुत्ता है, कौन शेर है, खुद ही फैसला कर लो।’’

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