केले के रेशे से बनी टोपी लंदन तक पहुंची

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  • महिलाओं को मिला 10 टोपियों का ऑर्डर

एक जिला-एक उत्पाद योजना के तहत बुरहानपुर जिले में केले के रेशे से तैयार उत्पादों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना ली है। जिले के शाहपुर क्षेत्र के एकझिरा गांव की स्व-सहायता समूह सदस्य अनुसुईया चौहान द्वारा तैयार टोपी को लंदन में काफी सराहा गया है। हाल ही में उन्हें लंदन से 10 टोपियों का ऑर्डर मिला है, जो स्थानीय महिलाओं के लिए गर्व का विषय है।

जिले में 25,000 हेक्टेयर में केले की खेती की जाती है, जहां से न केवल फलों की आपूर्ति देश और खाड़ी देशों में हो रही है, बल्कि केले के रेशे का भी बड़े पैमाने पर उपयोग किया जा रहा है। केले के रेशे से बनी टोपी धूप से बचाने के साथ-साथ स्टाइलिश लुक देती है। एक टोपी को बनाने में 1100-1200 रुपए की लागत आती है, लेकिन इसकी गुणवत्ता और आकर्षक डिज़ाइन के कारण ये महंगे दामों में बिकती हैं।

टोपी निर्माता अनुसुईया चौहान ने बताया कि इस कार्य ने उनके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार किया है। इस काम में उनका पूरा परिवार योगदान देता है। इस सफलता पर परियोजना अधिकारी संतमति खलको ने कहा कि यह पहल महिलाओं के सशक्तिकरण और जिले की पहचान को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। जिला प्रशासन ने केले के फलों और रेशों को अंतरराष्ट्रीय स्तर तक पहुंचाने के लिए विशेष आयोजन किए हैं। यह उपलब्धि न केवल जिले की पहचान बढ़ा रही है बल्कि महिलाओं को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बना रही है।

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