दिल्ली उच्च न्यायालय ने डाबर की याचिका पर पतंजलि से जवाब मांगा

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नई दिल्ली, गुरुवार, 26 दिसम्बर 2024। दिल्ली उच्च न्यायालय ने विज्ञापनों में डाबर के उत्पाद च्यवनप्राश को कथित रूप से बदनाम करने को लेकर दायर मामले पर पतंजलि आयुर्वेद से अपना रुख बताने को कहा है। न्यायमूर्ति मिनी पुष्करणा ने 24 दिसंबर को प्रतिवादियों – पतंजलि आयुर्वेद और पतंजलि फूड्स लिमिटेड – को समन जारी कर मामले में जवाब देने को कहा। आदेश में कहा गया है, ‘‘शिकायत को मुकदमे के रूप में पंजीकृत किया जाए। समन जारी किया जाए। प्रतिवादी आज से 30 दिन के भीतर लिखित बयान दाखिल करें।’’

डाबर ने आरोप लगाया कि ‘पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश’ को बढ़ावा देते समय झूठे और जानबूझकर आरोप लगाए गए जिससे उसके उत्पाद ‘डाबर च्यवनप्राश’ की बदनामी हुई। ‘डाबर च्यवनप्राश’ 60 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी के साथ इस बाजार में अग्रणी है। अदालत ने अंतरिम राहत का अनुरोध करने वाली एक याचिका पर नोटिस भी जारी किया और सुनवाई के लिए 30 जनवरी की तारीख तय की। याचिका में कहा गया है कि विज्ञापनों में प्रतिवादियों ने दावा किया है कि केवल ‘पतंजलि स्पेशल च्यवनप्राश’ ही ‘‘असली’’ है, इसलिए यह ‘‘विशेष’’ है और यह ‘‘श्रेष्ठम/सर्वश्रेष्ठ’’ च्यवनप्राश है, जो ‘‘चरक, सुश्रुत, धन्वंतरि, च्यवन ऋषि द्वारा बताई विधि’’ के अनुसार बनाया गया है और अन्य च्यवनप्राश निर्माताओं को इस संबंध में कोई ज्ञान नहीं है और इसलिए वे साधारण हैं।

अभियोग में कहा गया है, ‘‘प्रतिवादियों ने टीवीसी और प्रिंट विज्ञापन में बेशर्मी भरा यह दावा किया है कि प्रतिवादियों द्वारा प्रयुक्त आयुर्वेदिक पुस्तक ही च्यवनप्राश बनाने की ‘‘मूल विधि’’ या सूत्र है, जिससे डीएंडसी (औषधि और प्रसाधन सामग्री) अधिनियम की पहली अनुसूची में शामिल अन्य आयुर्वेदिक पुस्तकों को बेतुकी करार दिया गया है।’’ याचिका में प्रतिवादियों पर ‘च्यवनप्राश – डाबर च्यवनप्राश’ समेत वादी की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचाने वाले विज्ञापनों का टेलीविजन या किसी अन्य तरीके से प्रसारण करने पर स्थायी रूप से रोक लगाए जाने का अनुरोध किया गया है।

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