स्वर्ग के कम नहीं ये फूलों की घाटी

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फूलों की घाटी उत्तराखंड में गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित एक राष्ट्रीय उद्यान है. यह खूबसूरत घाटी विश्व धरोहर में भी मौजूद  है. इस स्थान की खूबसूरती देखने के बाद नज़र नहीं थमती. तो चलिए जानते है इनके बारें में... 

कितने क्षेत्र में फैली है फूलों की घाटी: उत्तराखंड के गढ़वाल इलाके में बसे फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है. 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित कर दिया गया है. फूलों की घाटी बेहद ही सुंदर है. हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी इस घाटी की खूबसूरती के लोग दीवाने है.

500 से अधिक फूलों की प्रजातियां: फूलों की घाटी में 500 से ज्यादा फूलों की प्रजातियां देखने को मिलेगी. 

रामायण और महाभारत में भी इस जगह का वर्णन है: फूलों की घाटी का वर्णन रामायण और महाभारत में भी देखने को मिला है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक फूलों की घाटी ही वो स्थान है जहां से हनुमान जी लक्ष्मण जी के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेकर आए थे.

परियों का निवास स्थान: स्थानीय लोगों के मुताबिक फूलों की घाटी में परियां निवास करते  हैं. परियों का निवास स्थान होने के कारण से लंबे वक़्त तक यहां लोग जाने से कतरा रहे है. इस घाटी में उगने वाले फूलों से दवाई भी बनाने के काम करती है.

फूलों की घाटी की खोज: 1931 में फ्रैंक स्मिथ और उनके साथी होल्डसवर्थ ने फूलों की घाटी को खोजा गया था. आपको बता दें फ्रैंक एक ब्रिटिश पर्वतारोही थे. जिसके उपरांत ये एक मशहूर पर्यटन स्थल बन चुका है. फूलों की घाटी को लेकर स्मिथ ने एक किताब भी लिखी जा चुकी है. इस किताब का नाम है- वैली ऑफ फ्लॉवर्स. 

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