क्यों मनाई जाती है रंग पंचमी? जानिए कथा

होली के पंच दिन पश्चात् रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है. ये होली का ही रूप है. मान्यता है कि इस दिन देवतागण वायु रूप में धरती पर आकर रंग-गुलाल-अबीर से होली खेलते हैं. रंग पंचमी का त्यौहार मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र में ज्यादा प्रचलित है. इसे देव पंचमी (Dev Panchami) एवं श्री पंचमी (Sri Panchami) भी कहा जाता है. इस वर्ष रंग पंचमी 30 मार्च 2024 को मनाई जाएगी.
पौराणिक कथाएं:
प्रेम और पुनर्जन्म: एक मान्यता के मुताबिक, भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था। उनकी पत्नी रति ने उनसे प्रार्थना की, जिसके बाद भगवान शिव ने कामदेव को पुनर्जीवित किया। इसी खुशी में देवताओं ने रंगों का उत्सव मनाया, जो रंगपंचमी के रूप में जाना जाता है।
राधा-कृष्ण: एक अन्य कथा के मुताबिक, प्रभु श्री कृष्ण ने रंगपंचमी के दिन राधा और गोपियों के साथ रंगों से होली खेली थी।
पृथ्वी और सूर्य का मिलन: कुछ लोगों का मानना है कि रंगपंचमी पृथ्वी और सूर्य के मिलन का प्रतीक है।
सांस्कृतिक महत्व:
बुराई पर अच्छाई की जीत: रंगपंचमी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।
वसंत ऋतु का आगमन: यह त्योहार वसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक है।
भाईचारा और प्रेम: रंगपंचमी भाईचारा और प्रेम का त्योहार है।
त्योहार का उत्सव:
लोग रंग-बिरंगे कपड़े पहनते हैं और एक-दूसरे पर रंग डालते हैं।
गाने, नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।
कुछ लोग इस दिन पतंग भी उड़ाते हैं।
रंगपंचमी का महत्व:
रंगपंचमी खुशी, प्रेम, भाईचारा और वसंत ऋतु का त्योहार है। यह त्योहार लोगों को एकजुट करता है और जीवन में खुशियां लाता है।


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