आम आदमी निराश, रेपो दर लगातार छठी बार 6.5 प्रतिशत पर यथावत

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मुंबई, गुरुवार, 08 फ़रवरी 2024। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने आर्थिक गतिविधियों में जारी तेजी एवं महंगाई पर कड़ी नजर रखते हुये लगातार छठी बार नीतिगत दर को यथावत रखने का गुरूवार को फैसला किया, जिससे ब्याज दरों में कमी की उम्मीद लगाये आम लोगों को निराशा हाथ लगी है क्योंकि फिलहाल उनके घर, कार और अन्य ऋणों पर ब्याज दरें कम नहीं होंगी। मई 2022 से 250 आधार अंकों तक लगातार छह बार दर वृद्धि के बाद अप्रैल 2023 में दर वृद्धि चक्र को रोक दिया गया था और यह अभी भी इसी स्तर पर है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को चालू वित्त वर्ष की अंतिम द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मौद्रिक नीति को यथावत बनाए रखने का फैसला किया है। इसके मद्देनजर रेपो दर के साथ ही सभी प्रमुख नीतिगत दरें यथावत हैं और समायोजन के रुख को वापस लेने का निर्णय लिया गया है।

दास ने यह घोषणा करते हुये कहा कि फिलहाल नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं की जा रही है लेकिन दरों को यथावत बनाये रखने के बीच समिति ने समायोजन वाले रुख से पीछे हटने का निर्णय लिया गया है। समिति के इस निर्णय के बाद फिलहाल नीतिगत दरों में बढोतरी नहीं होगी। रेपो दर 6.5 प्रतिशत, स्टैंडर्ड जमा सुविधा दर (एसडीएफआर) 6.25 प्रतिशत, मार्जिनल स्टैंडिंग सुविधा दर (एमएसएफआर) 6.75 प्रतिशत, बैंक दर 6.75 प्रतिशत, फिक्स्ड रिजर्व रेपो दर 3.35 प्रतिशत, नकद आरक्षित अनुपात 4.50 प्रतिशत, वैधानिक तरलता अनुपात 18 प्रतिशत पर यथावत है।

दास ने कहा कि वैश्विक आर्थिक गतिविधियों में शिथिलता के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र सशक्त और मजबूत बना हुआ। भू-राजनीतिक तनाव से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो रही है और जिंसों खासकर कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। एमपीसी ने यह सुनिश्चित करने के लिए समायोजन वापसी पर ध्यान केंद्रित रखने का भी निर्णय लिया कि विकास को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति लक्ष्य के अनुरूप हो। ये निर्णय विकास का समर्थन करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के चार प्रतिशत के मध्यम अवधि के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य के अनुरूप हैं।

दास ने कहा कि बीते उथल-पुथल वाले वर्ष में आश्चर्यजनक रूप से लचीले प्रदर्शन के बाद वर्ष 2024 में वैश्विक विकास के स्थिर रहने की संभावना है। धीमी बढ़ोतरी के साथ मुद्रास्फीति कई दशकों के उच्चतम स्तर से नीचे आ रही है। विकसित अर्थव्यवस्थाओं में केंद्रीय बैंकों द्वारा शुरुआती बदलाव के साथ वित्तीय बाजार में उतार-चढ़ाव हो रहा है। कम ब्याज दरों की संभावना ने इक्विटी बाजारों में तेजी ला दी है। उभरती अर्थव्यवस्थाएं अस्थिर पूंजी प्रवाह के बीच मुद्रा में उतार-चढ़ाव का सामना कर रही हैं।

दास ने कहा कि घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा जारी पहले अग्रिम अनुमान (एफएई) के अनुसार, वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2023-24 में 7.3 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। रबी की बुआई में सुधार, विनिर्माण में निरंतर लाभप्रदता और सेवाओं से 2024-25 में आर्थिक गतिविधि को समर्थन मिलना चाहिए। मांग और घरेलू खपत में सुधार की उम्मीद है जबकि निजी पूंजीगत व्यय एवं व्यावसायिक भावनाओं में सुधार, बैंकों और कॉरपोरेट्स की स्वस्थ बैलेंस शीट के कारण निवेश की संभावनाएं बनी हुई है और सरकार का पूंजीगत व्यय पर जोर जारी है।

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