जम्मू में रोहिंग्याओं को आश्रय देने वाले लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज
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जम्मू, मंगलवार, 19 दिसंबर 2023। जम्मू में रोहिंग्याओं को आश्रय और सरकारी लाभ प्रदान करने में कथित रूप से शामिल व्यक्तियों के खिलाफ विभिन्न पुलिस थानों में सात प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। पुलिस ने मंगलवार को यह जानकारी दी। पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू जिले के विभिन्न स्थानों पर तलाशी के बाद सतवारी, त्रिकुटा नगर, बाग-ए-बाहु, चन्नी हिम्मत, नोवाबाद, डोमाना और नगरोटा के पुलिस थानों में प्राथमिकी दर्ज की गईं।
अधिकारी ने कहा कि विदेशी प्रवासियों को आश्रय प्रदान करने और उन्हें सरकारी लाभ दिलाने में मदद करने के आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई है। प्रवक्ता ने बताया कि जिलाधिकारियों की मौजूदगी में विभिन्न स्थानों पर तलाशी ली गई जहां रोहिंग्याओं को ठहराया गया था। इसके साथ उन्हें सुविधा प्रदान करने वाले आवासीय स्थानों की भी जांच की गई। अधिकारी ने कहा कि तलाशी के दौरान अवैध रूप से हासिल किए गए भारतीय दस्तावेज जैसे पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक दस्तावेज और अन्य आपत्तिजनक सामग्री जब्त की गई।
उन्होंने कहा, ”मामले में जांच शुरू हो गई है। इसमें शामिल सभी लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।” किश्तवाड़ जिले की पुलिस ने एक दिन पहले जिले में रोहिंग्याओं के खिलाफ कार्रवाई के दौरान अवैध रूप से हासिल किए गए आधार कार्ड जैसे दस्तावेजों की बरामदगी के बाद मामला दर्ज किया था। दच्छन पुलिस थाने में यह मामला भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 467 (महत्वपूर्ण दस्तावेजों की जालसाजी), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी) और 471 (जाली दस्तावेज को असली के रूप में उपयोग करना) सहित विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया।
रोहिंग्या म्यांमा के बांग्ला भाषी मुस्लिम अल्पसंख्यक हैं। अपने देश में उत्पीड़न के बाद, कई रोहिंग्या बांग्लादेश के रास्ते अवैध रूप से भारत आ गए और जम्मू एवं देश के अन्य हिस्सों में शरण ले ली। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशी नागरिकों सहित 13,700 से अधिक विदेशी जम्मू और केंद्रशासित प्रदेश के अन्य जिलों में बसे हुए हैं, जहां 2008 और 2016 के बीच उनकी आबादी 6,000 से अधिक हो गई। Rohingyasपुलिस ने इससे पहले मार्च 2021 में एक सत्यापन अभियान के दौरान जम्मू शहर में अवैध रूप से रह रहे महिलाओं और बच्चों सहित 250 से अधिक रोहिंग्याओं का पता लगाया था। इसके बाद उन्हें कठुआ के उप-कारागार में एक हिरासत केंद्र में रखा गया।
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