मंहगाई और बेरोजगारी कम करने को लेकर कोई ठोस कार्य योजना बजट में नहीं है: आभा सिन्हा
रांची, रविवार, 05 फ़रवरी 2023। झारखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रवक्ता आभा सिन्हा ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारामण द्वारा पिछले एक फरवरी 2023 को संसद में पेश केन्द्र सरकार के बजट को निराशाजनक बताते हुए कहा कि केन्द्र सरकार का बजट किसानों, युवाओं, गरीब एवं महिलाओं की अपेक्षाओं के साथ छलावा है। श्रीमती सिन्हा ने आज कहा कि केन्द्रीय बजट में महँगाई एवं बेरोजगारी जैसी विकराल समस्याओं को दूर करने के लिए कोई तात्कालिक उपाय नहीं किए गए है, बल्कि 3 वर्ष से 25 वर्ष तक के विजन के अनुरूप घोषणाएं की गई है। व्यक्तिगत आय करदाताओं को नई टैक्स प्रणाली के तहत् 2.5 लाख रुपये तक की आय कर रहित थी जिसमें अब 50 हजार रुपये बढ़ाकर 3 लाख रुपये तक की आय को कर रहित घोषित किया गया है जो कि ऊँट के मुँह में जीरा बराबर है।साथ हीं मनरेगा, खाद्य सुरक्षा में कटौती से गरीबों लोगों पर इसका असर पड़ेगा। वहीं दूसरी ओर काॅरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचा गया है।
उन्होंने कहा कि चाँदी, सोना के महँगा होने से प्रदेश के ज्वैलरी उद्योग पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा। उन्होंने कहा कि घरेलू गैस पर सब्सिडी देने अथवा पेट्रोल, डीजल पर लग रही एक्साईज ड्यूटी में कमी करने वाली कोई घोषणा नहीं की गई जबकि देश में बढ़ती महँगाई के लिए पेट्रोल, डीजल की बढ़ी हुई दरें जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि इस बजट से हर वर्ग को निराशा हाथ लगी है। बढ़ती मंहगाई और बेरोजगारी कम करने को लेकर कोई ठोस कार्य योजना बजट में नहीं है। पूंजीपतियों को समर्पित आम बजट में किसान और बेरोजगार नौजवानों के लिये कोई बात नहीं की गयी है। देश की जनता को कहीं से कोई भी लाभ नहीं मिल रहा बल्कि पूर्ण रूप से पूंजीपतियों को समर्पित यह बजट एक चिंता का विषय है। किसानो से एमएसपी दोगुना करने और दो करोड़ को रोजगार देने का वादा इस बजट में पूरा नहीं किया गया है। यहां तक कि सैनिकों के हित के लिये भी बजट में कोई व्यवस्था नहीं की गयी है।
उन्होंने कहा कि 2021-22 में खरीद पर लगभग 80,000 करोड़ रुपये खर्च किए गए जबकि इस बजट में लगभग 60,000 करोड़ रुपये ही रखे गये हैं, जिससे फसलों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने में गंभीर समस्या होगी। उन्होने कहा कि रक्षाक्षेत्र, मनरेगा या खेल जगत में किसी भी तरह की बड़ी घोषणा नहीं की गई है। जनता की मूलभूत आवश्यकताये जैसे दूध, दही, छाछ, आटा, दाल, चावल, गेहूं, जीवन रक्षक दवाओं जैसी जरूरी सामग्री पर किसी प्रकार की कोई छूट नहीं दी गई है। श्रीमती सिंहा ने कहा कि मनरेगा आवंटन में भी लगभग 33 प्रतिशत की कटौती कर दी गई है। बजट में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कुछ भी नहीं बोलना किसानों के साथ छलावा है। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने बजट के जरिए अमीरी-गरीबी की खाई पाटने को लेकर थोड़ी भी कोशिश नहीं की है।
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