भारत जोड़ो यात्रा देश का माहौल बदलने के लिए, राहुल की छवि सुधारने के लिए नहीं : उमर अब्दुल्ला
बनिहाल, शुक्रवार, 27 जनवरी 2023। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला बनिहाल में राहुल गांधी के नेतृत्व में निकाली जा रही कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुए। इस दौरान, उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा का मकसद राहुल गांधी की ‘छवि’ सुधारना नहीं, बल्कि देश के मौजूदा हालात को बदलना है। हालांकि, उमर ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को निष्प्रभावी बनाए जाने के संबंध में कांग्रेस के रुख पर प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह इसमें नहीं पड़ना चाहते। उमर ने कहा, हम किसी एक व्यक्ति की छवि के लिए नहीं, बल्कि देश की छवि के लिए इसमें हिस्सा ले रहे हैं।
नेकां नेता ने दावा किया कि राहुल गांधी ने निजी उद्देश्यों के चलते यह यात्रा शुरू नहीं की, बल्कि उन्होंने देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करने और अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने की कथित कोशिशों पर अपनी चिंताओं के मद्देनजर यह कदम उठाया। श्रीनगर से 120 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बनिहाल पहुंचने के बाद संवाददाताओं से मुखातिब उमर ने कहा, भारत जोड़ो यात्रा का मकसद राहुल गांधी की छवि सुधारना नहीं, बल्कि देश के मौजूदा हालातों में बदलाव लाना है।
उन्होंने कहा, यह सरकार भले ही अरब देशों के साथ दोस्ती कर रही है, लेकिन सच्चाई यह है कि इस सरकार में देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक समुदाय का कोई प्रतिनिधि नहीं है। उमर ने कहा, आजादी के बाद यह संभवत: पहली बार है, जब सत्तारूढ़ दल से मुस्लिम समुदाय का कोई भी संसद सदस्य नहीं है। यह उनके रुख को दर्शाता है। साल 2016 में हुई सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के बयान के बारे में पूछे जाने पर उमर ने कहा कि उनकी पार्टी ने कभी इस अभियान पर सवाल नहीं उठाए।
नेकां नेता ने कहा, यह कांग्रेस का आंतरिक मामला है। हमने न तो कभी सर्जिकल स्ट्राइक (की सत्यता) पर सवाल उठाए हैं, न ही उठाएंगे। उमर ने कहा, हम अनुच्छेद-370 की बहाली के लिए अदालत में मुकदमा लड़ेंगे। सरकार संबंधित याचिका पर सुनवाई से जिस तरह से पीछे भाग रही है, उससे पता चलता है कि हमारा मुकदमा काफी मजबूत है। जम्मू-कश्मीर में चुनाव के संबंध में उन्होंने कहा कि इसे आठ साल हो चुके हैं। नेकां नेता ने कहा, आखिरी विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। यह जम्मू-कश्मीर में दो चुनावों के बीच सबसे लंबा अंतराल है। घाटी में आतंकवाद के चरम पर होने के दौरान भी ऐसा नहीं हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार चाहती है कि जम्मू-कश्मीर के लोग चुनाव के लिए गिड़गिड़ाएं। उमर ने कहा, हम भिखारी नहीं हैं और हम इसके लिए भीख नहीं मांगेंगे।
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