साजी चेरियन को विधायक पद से अयोग्य ठहराने की मांग वाली याचिका खारिज

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कोच्चि, गुरुवार, 08 दिसम्बर 2022। केरल उच्च न्यायालय ने भारतीय संविधान के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक भाषण देने के मामले में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के विधायक एवं राज्य के पूर्व मंत्री साजी चेरियान को विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहराने की मांग वाली दो याचिकाएं बृहस्पतिवार को खारिज कर दीं। यह फैसला मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति शाजी पी चेली की पीठ ने पारित किया। निर्वाचन आयोग की ओर से पेश अधिवक्ता दीपू लाल मोहन ने दोनों याचिकाओं को खारिज किए जाने की पुष्टि की। हालांकि, विस्तृत आदेश की प्रति मिलना अभी बाकी है। दोनों याचिकाओं में दावा किया गया था कि चेरियन की टिप्पणियों के लिए उन्हें जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा नौ के तहत अयोग्य करार दिया जाना चाहिए। इस धारा में कहा गया है कि ‘एक व्यक्ति जिसे भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के तहत आने वाले कार्यालय में रहते हुए भ्रष्टाचार या राज्य के प्रति निष्ठाहीनता के आरोप में बर्खास्त किया गया है, उसे संबंधित तारीख से अगले पांच साल की अवधि के लिए अयोग्य ठहराया जाएगा।’

याचिकाओं में यह भी आरोप लगाया गया था कि चेरियन का कृत्य संविधान के अनुच्छेद 173(ए) और 188 का उल्लंघन था और उनके विवादास्पद भाषण के लिए उनके खिलाफ राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम 1971 के तहत एक मामला भी दर्ज किया गया था। चेरियन के भाषण को लेकर केरल में सियासी विवाद शुरू हो गया था। उन्हें मंत्रिमंडल से हटाने की मांग को लेकर विपक्षी दलों के हंगामे के बाद केरल विधानसभा की कार्यवाही एक दिन के लिए स्थगित करनी पड़ी थी। बाद में छह जुलाई को चेरियन को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था।

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