न्यायालय ने झारखंड के प्रतिबंधित संगठन के ‘जोनल कमांडर’ को जमानत दी

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नई दिल्ली, सोमवार, 08 दिसंबर 2025। उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंधित तृतीय प्रस्तुति समिति (टीपीसी) के कथित जोनल कमांडर को सोमवार को अंतरिम जमानत दे दी। उस पर गैरकानूनी गतिविधि (निषेध) अधिनियम (यूएपीए) और शस्त्र अधिनियम के तहत रंगदारी एवं आतंकवाद के वित्त पोषण के आरोपों में मुकदमा चल रहा है। टीपीसी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) से अलग हुआ एक समूह है।  ⁠भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने दशरथ सिंह भोक्ता उर्फ दशरथ गंझू को राहत देते हुए इस तथ्य पर गौर किया कि इस मामले में अन्य मुख्य आरोपियों को पहले ही जमानत मिल चुकी है। पीठ ने निचली अदालत को निर्देश दिया कि वह आगे की कार्यवाही में उसकी उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए उचित शर्तें लगाए। न्यायालय ने यह आदेश राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के विरोध के बावजूद दिया। एनआईए की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के. एम. नटराज ने भोक्ता को जमानत देने से इनकार करने के झारखंड उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली उसकी याचिका का विरोध किया था।

नटराज ने दलील दी थी कि भोक्ता प्रतिबंधित संगठन का सदस्य है और 60 में से केवल छह अभियोजन गवाहों की गवाही शेष रह गई है। उन्होंने अदालत से आग्रह किया था कि मामले की सुनवाई सर्दी की छुट्टियों के बाद हो। बहरहाल, पीठ ने लंबी न्यायिक हिरासत और समानता के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए भोक्ता को अंतरिम जमानत दी। भोक्ता 17 मई 2020 से न्यायिक हिरासत में है। यह मामला पांकी थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था, जिसे बाद में एनआईए ने अपने हाथ में ले लिया। उस पर आरोप है कि वह झारखंड के व्यापारियों एवं ठेकेदारों से रंगदारी वसूलता था और इस धन का उपयोग हथियार खरीदने तथा टीपीसी की गतिविधियों को संचालित करने में करता था। इसके अलावा, उस पर अवैध आय से अपनी पत्नी के नाम पर संपत्ति खरीदने का भी आरोप है।

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