जल को पवित्र, सीमित राष्ट्रीय संसाधन समझें : राष्ट्रपति मुर्मू

img

नई दिल्ली, मंगलवार, 18 नवंबर 2025। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को छठवें राष्ट्रीय जल पुरस्कार प्रदान करते हुए निजी व्यक्तियों और सार्वजनिक निकायों से जल को एक पवित्र और सीमित राष्ट्रीय संसाधन मानने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि दीर्घकालिक जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सतत प्रबंधन और सामुदायिक भागीदारी आवश्यक है। साथ ही उन्होंने आगाह किया कि भारत को अपने मीठे पानी के सीमित भंडार पर बढ़ते दबाव का सामना करना पड़ रहा है।

एक बयान के अनुसार राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हजारों साल पहले हमारे पूर्वजों ने ऋग्वेद में कहा था, अप्सु अन्तः अमृतम् (जल में अमरता है)।’’  उन्होंने कहा, ‘‘जल ही जीवन है। एक व्यक्ति भोजन के बिना कुछ दिन जीवित रह सकता है लेकिन पानी के बिना नहीं। हमें याद रखना चाहिए कि हम एक बहुत ही मूल्यवान संसाधन का उपयोग कर रहे हैं।’’ मुर्मू ने नागरिकों, संस्थाओं और सरकारों से जल को ‘‘पवित्र एवं सीमित राष्ट्रीय संसाधन’’ मानने का आग्रह किया।

राष्ट्रपति ने 10 श्रेणियों में 46 पुरस्कार विजेताओं को संरक्षण, नवाचार और कुशल जल उपयोग में उनके योगदान के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन सभी व्यक्तियों और संगठनों को बधाई देती हूं जिन्हें आज यह पुरस्कार मिला है। आप जल के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और आपके प्रयास हमारे राष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण हैं।’’ मुर्मू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन जल चक्र को बाधित कर रहा है, जिससे पहले से ही सीमित जल संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी स्थिति में सरकार और लोगों को जल की उपलब्धता और जल सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मिलकर काम करना चाहिए।’’ उन्होंने भूजल को संरक्षित करने, चक्रीय जल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और उद्योगों में पुन: उपयोग और पुनर्चक्रण को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। मुर्मू ने जल जीवन मिशन के तहत घरेलू नल जल कनेक्शन के विस्तार को भारत के जल परिदृश्य में एक बड़ा बदलाव बताया। मुर्मू ने ‘‘आजीवन जल संरक्षण’’ का आह्वान करते हुए याद दिलाया कि भारत की जल विरासत उसकी सांस्कृतिक पहचान से गहराई से जुड़ी हुई है।

उन्होंने कहा, ‘‘लोगों और समुदायों को जल का उपयोग बड़े सम्मान के साथ करना चाहिए। परिवारों, समाज और सरकार की सामूहिक भागीदारी से ही सतत जल प्रबंधन संभव है।’’ जल संरक्षण में सर्वश्रेष्ठ राज्य का पुरस्कार महाराष्ट्र को मिला। उसके बाद गुजरात और हरियाणा का स्थान रहा। सर्वश्रेष्ठ जिले का पुरस्कार राजनांदगांव (छत्तीसगढ़), खरगोन (मध्य प्रदेश), मिर्ज़ापुर (उत्तर प्रदेश), तिरुनेलवेली (तमिलनाडु) और सिपाहीजाला (त्रिपुरा) को दिया गया, जिनमें से प्रत्येक ने अपने क्षेत्र में शीर्ष स्थान हासिल किया। इन पुरस्कारों की स्थापना 2018 में की गयी है। इसका उद्देश्य सर्वोत्तम तौर-तरीकों का प्रदर्शन करना और समुदायों, संस्थानों तथा उद्योगों को जल समृद्ध भारत में योगदान देने वाले उपायों को अपनाने के लिए प्रेरित करना है।

Similar Post

LIFESTYLE

AUTOMOBILES

Recent Articles

Facebook Like

Subscribe

FLICKER IMAGES

Advertisement