मुल्लापेरियार की जगह नया बांध बनाने की याचिका पर केंद्र, केरल, तमिलनाडु सरकारों को नोटिस

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नई दिल्ली, सोमवार, 13 अक्टूबर 2025। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर केंद्र, तमिलनाडु और केरल सरकारों के साथ-साथ एनडीएमए को नोटिस जारी किया, जिसमें 130 साल पुराने मुल्लापेरियार बांध की सुरक्षा और संरचनात्मक स्थिरता को लेकर चिंताओं के बाद, उसके स्थान पर एक नए बांध के निर्माण की मांग की गई थी। प्रधान न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ‘सेव केरल ब्रिगेड’ की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि ब्रिटिश काल के इस बांध के आसपास एक करोड़ से ज्यादा लोग रहते हैं। प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मौजूदा बांध को मजबूत करने के लिए कुछ निर्देशों की जरूरत हो सकती है’’।  उन्होंने कहा कि सुरक्षा पहलुओं और नए ढांचे के निर्माण की व्यवहार्यता का आकलन करने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय द्वारा मामले की जांच की जाए।

केरल के इडुक्की जिले में पेरियार नदी पर 1895 में बना मुल्लापेरियार बांध, एक समझौते के तहत तमिलनाडु द्वारा संचालित किया जाता है। यह लंबे समय से विवाद का विषय रहा है, क्योंकि केरल इसकी उम्र और भूकंपीय संवेदनशीलता के कारण सुरक्षा संबंधी चिंताओं का हवाला देता है, जबकि तमिलनाडु कई दक्षिणी जिलों में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिए इसके महत्व पर जोर देता है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता वी. गिरि ने दलील दी कि पुराना बांध केरल में नदी के किनारे रहने वाले लगभग 1 करोड़ लोगों के जीवन और संपत्ति के लिए गंभीर खतरा पैदा कर रहा है। उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि वह जन सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एक नए बांध के निर्माण का निर्देश दे। जनहित याचिका में केंद्र, तमिलनाडु और केरल सरकारों और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) को प्रतिवादी बनाया गया है।

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