एडीजे की नियुक्ति के लिए न्यायिक अधिकारियों की पात्रता : न्यायालय में 23 सितंबर को सुनवाई
नई दिल्ली, शुक्रवार, 12 सितंबर 2025। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि वह 23 सितंबर से इस अहम सवाल पर सुनवाई शुरू करेगा कि क्या कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने किसी पीठ में शामिल होने से पहले ही बार में सात साल पूरे कर लिए हों, किसी रिक्ति के मद्देनजर अतिरिक्त जिला जज (एडीजे) बनने का हकदार है। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश, न्यायमूर्ति अरविंद कुमार, न्यायमूर्ति एससी शर्मा और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ 23 सितंबर से सुनवाई शुरू करेगी और 25 सितंबर तक तीन दिन दलीलें सुनेगी। मामले में अहम सवाल यह है कि क्या कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने न्यायिक सेवा में शामिल होने से पहले बार में सात साल की प्रैक्टिस पूरी कर ली हो, उसे बार कोटे के तहत वकीलों के लिए निर्धारित रिक्तियों पर जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए विचार किया जा सकता है।
संविधान का अनुच्छेद 233 जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है और इसमें लिखा है: ‘‘किसी भी राज्य में जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति, तथा उनकी पदस्थापना और पदोन्नति, उस राज्य के संबंध में अधिकार क्षेत्र रखने वाले उच्च न्यायालय के परामर्श से उस राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाएगी।’’ इसके अनुसार, ‘‘कोई व्यक्ति जो पहले से ही संघ या राज्य की सेवा में नहीं है, केवल तभी जिला न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए पात्र होगा यदि वह कम से कम सात वर्षों तक अधिवक्ता या वकील रहा हो और उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्ति के लिए उसकी सिफारिश की गई हो।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘हम पहले उन लोगों को सुनेंगे जो प्रस्ताव का समर्थन कर रहे हैं, फिर अन्य लोग जवाब देंगे। प्रत्येक पक्ष को डेढ़ दिन का समय मिलेगा।’’ पीठ ने प्रस्ताव का समर्थन करने वालों के लिए अधिवक्ता अजय कुमार सिंह को नोडल वकील नियुक्त किया, जबकि विरोधी पक्ष के लिए वकील जॉन मैथ्यू को नोडल वकील नियुक्त किया गया। उच्च न्यायिक सेवा के अंग के रूप में एडीजे के पद निचले न्यायिक अधिकारियों की पदोन्नति के माध्यम से भरे जाते हैं। ये पद वकीलों की सीधी भर्ती के माध्यम से भी भरे जाते हैं, जिनके पास बार में कम से कम सात वर्ष का अनुभव हो।
अब मुद्दा यह है कि क्या कोई निम्न न्यायिक अधिकारी भी वकीलों के लिए सीधी भर्ती कोटे के तहत एडीजे के पदों के लिए आवेदन कर सकता है और न्यायिक अधिकारी या वकील या दोनों के रूप में उसके सात वर्षों के अनुभव को गिना जा सकता है या नहीं। गत 12 अगस्त को, प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने यह प्रश्न पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ को भेजा था कि क्या कोई न्यायिक अधिकारी, जिसने पीठ में शामिल होने से पहले ही बार में सात वर्ष पूरे कर लिए हों, बार कोटे के तहत रिक्त पद के लिए एडीजे बनने का हकदार है ?
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