टीबी के खिलाफ लड़ाई के लिए केंद्र सरकार 1,500 अतिरिक्त ‘हैंड हेल्ड एक्स-रे’ मशीन खरीदेगी

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नई दिल्ली, बुधवार, 09 जुलाई 2025। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय तपेदिक (टीबी) के खिलाफ लड़ाई को और तेज करने के लिए जल्द ही 1,500 ‘हैंड हेल्ड एक्स-रे’ मशीनें खरीदेगा ताकि बड़े पैमाने पर जांच व मामलों का तत्काल पता लगाया जा सके। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। देश भर के जांच केंद्रों पर लगभग 500 ऐसी ‘एक्स-रे’ मशीनें पहले से ही हैं। सरकार के इस बीमारी को जड़ से खत्म करने के प्रयासों के तहत देश भर में 46,000 से ज्यादा ग्राम पंचायतों को ‘टीबी मुक्त’ घोषित किया जा चुका है। महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा पंचायतें टीबी मुक्त घोषित की गई हैं।

एक आधिकारिक सूत्र ने बताया, “भौगोलिक रूप से छोटे राज्यों की तुलना में उत्तराखंड में टीबी के मामलों में उल्लेखनीय कमी आई है।” टीबी दर में कमी से मतलब विशिष्ट मानदंडों को हासिल करना है, जिनमें बलगम नमूना संग्रह की उच्च दर, टीबी के कम मामले, उपचार की उच्च सफलता दर और रोगियों के लिए अच्छी पोषण सहायता शामिल है। टीबी मुक्त भारत अभियान 347 जिलों से शुरू किया गया था और अब इसे सभी जिलों तक विस्तारित किया गया है। वर्ष 2025 तक टीबी उन्मूलन का भारत का लक्ष्य दुनिया के सबसे महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य मिशनों में से एक है।

राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के अंतर्गत भारत ने उन्नत निदान, नवीन नीतियों, निजी क्षेत्र की साझेदारियों और रोगी-प्रथम दृष्टिकोण के साथ टीबी के प्रति अपनी प्रतिक्रिया को मजबूत किया है। टीबी उन्मूलन अभियान का उद्देश्य समय पर बीमारी का पता लगाकर रोगियों को व्यापक उपचार प्रदान कर इस रोग को खत्म करना है। केंद्र इस कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क उपचार, जांच और दवाइयां प्रदान करता है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने पहले बताया था कि उन्मूलन कार्यक्रम के तहत अब तक 2023 में 25.5 लाख और 2024 में 26.07 लाख टीबी के मामले दर्ज किये गये, जो सबसे ज्यादा हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट के अनुसार, भारत ने तपेदिक से लड़ने में उल्लेखनीय प्रगति की है।

कार्यक्रम के तहत, टीबी के मामलों की दर 2015 में प्रति एक लाख लोगों पर 237 थी, जो 2023 में लगभग 17.7 प्रतिशत घटकर 195 हो गई है। इसी अवधि के दौरान टीबी से संबंधित मौतों में भी कमी आई है, जो प्रति एक लाख लोगों पर 28 से घटकर 22 रह गई है। इस कार्यक्रम की एक प्रमुख उपलब्धि टीबी के छूटे हुए मामलों की संख्या में उल्लेखनीय गिरावट है, जो 2015 में 15 लाख थी और 2023 में 83 प्रतिशत की कमी के साथ केवल 2.5 लाख रह गयी। टीबी के छूटे हुए मामलों से मतलब यह है कि वे लोग, जिन्हें टीबी तो है लेकिन उन्होंने आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत पंजीकरण नहीं कराया है और उन्हें आधिकारिक माध्यम के जरिये उपचार नहीं मिल रहा है।
 

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