अतिक्रमण को लेकर अदालत के आदेशों की अवहेलना नहीं की जा सकतीः रेखा गुप्ता

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नई दिल्ली, रविवार, 08 जून 2025। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने रविवार को कहा कि अधिकारी अदालतों द्वारा जारी किये गये ध्वस्तीकरण आदेशों की अवहेलना नहीं कर सकते। साथ ही उन्होंने कहा कि विस्थापित निवासियों को आवास मुहैया कराया गया है। मुख्यमंत्री की यह टिप्पणी विपक्षी आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा दक्षिणी दिल्ली में बारापुला के निकट मद्रासी कैंप झुग्गी बस्ती को ढहाये जाने तथा शहर के अन्य भागों में इसी प्रकार के ध्वस्तीकरण अभियान की आलोचना के बीच आई है। आप ने गुप्ता पर निशाना साधते हुए कहा कि विस्थापित लोगों को दूर नरेला में घर मुहैया कराए गए और वहां भी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं। हैदरपुर क्षेत्र में एक झुग्गी बस्ती में जन सेवा शिविर के निर्माण के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में गुप्ता ने संवाददाताओं से कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में अधिकारियों द्वारा लगभग चार बार ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई है, जैसे मद्रासी कैंप में, जहां न्यायालय ने बारापुला नाले के पास अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे।’

उन्होंने कहा कि बारापुला नाले के पास अतिक्रमण के कारण इसकी चौड़ाई कम हो गई है, जिससे आसपास के इलाकों में जलभराव की समस्या पैदा हो गई है। उन्होंने कहा कि गाद निकालने के लिए यह कार्रवाई आवश्यक थी। उन्होंने कहा, ‘अगर अदालत ने झुग्गियों के लिए कुछ आदेश दिया है तो न तो सरकार और न ही प्रशासन कुछ कर सकता है। मद्रासी कैंप बारापुला नाले के किनारे बसाया गया था।’ उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘अदालत ने इस झुग्गी बस्ती को हटाने का आदेश दिया था ताकि नाले की सफाई के लिए मशीनें लगाई जा सकें। कोई भी अदालत के आदेश की अवहेलना नहीं कर सकता। उस कैंप के निवासियों को मकान आवंटित कर दिए गए हैं।’

मुख्यमंत्री की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए आतिशी ने कहा कि भाजपा का प्रमुख चुनावी वादा ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ खोखला है। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने कहा, ‘रेखा जी: क्या अदालत ने यह भी कहा था कि भाजपा अपना ‘जहां झुग्गी, वहीं मकान’ का वादा पूरा ना करे? अगर झुग्गी तोड़नी थी तो आस-पास के इलाके में घर क्यों नहीं दिया? मद्रासी कैंप के ज्यादातर लोगों को मकान नहीं मिला। जिनको मिला – वो भी 40 किलोमीटर दूर नरेला के टूटे फूटे घर; जहां सड़क नहीं, काम नहीं, स्कूल नहीं, अस्पताल नहीं…’

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