ओडिशा विधानसभा से बहिनीपति को निलंबित करने का आदेश वापस लिया जाए: कांग्रेस, बीजद

भुवनेश्वर, बुधवार, 12 मार्च 2025। ओडिशा में विपक्षी दलों कांग्रेस और बीजू जनता दल (बीजद) ने वरिष्ठ विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति को विधानसभा से निलंबित किए जाने का आदेश वापस लेने की बुधवार को मांग की। कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक बहिनीपति को मंगलवार को सदन में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी विधायकों के बीच धक्का-मुक्की की घटना के बाद ‘‘कदाचार एवं अनुचित व्यवहार’’ करने के आरोप में सात दिन के लिए विधानसभा से निलंबित कर दिया गया था। बुधवार को सुबह 10 बजकर 30 मिनट पर जैसे ही प्रश्नकाल शुरू हुआ, कांग्रेस के विधायक दल के (सीएलपी) नेता राम चंद्र कदम ने इस मुद्दे पर चर्चा करने की कोशिश की।
हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष सुरमा पाढ़ी ने उन्हें प्रश्नकाल के दौरान बोलने की अनुमति नहीं दी जिसके बाद कांग्रेस विधायकों ने सदन से बहिर्गमन कर दिया और विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरने पर बैठ गए। बाद में, विधानसभा अध्यक्ष ने सरकार के मुख्य सचेतक सरोज प्रधान से कहा कि वह प्रदर्शनकारी कांग्रेस सदस्यों से मिलकर उनसे सदन में लौटने का अनुरोध करें। इससे पहले दिन में, बीजद के एक प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा में अपने उपनेता प्रसन्ना आचार्य के नेतृत्व में पाढ़ी से उनके कक्ष में मुलाकात की और उनसे बहिनीपति के निलंबन को वापस लेने का अनुरोध किया।
आचार्य ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात की और सदन में मंगलवार को हुए दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम पर चर्चा की। हमने विधानसभा अध्यक्ष से अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया क्योंकि ऐसा लगता है कि यह निर्णय जल्दबाजी में लिया गया है। सदन केवल सत्ता पक्ष या विपक्ष के लिए नहीं है। यह सभी के लिए है। विधानसभा के सुचारू संचालन को सुनिश्चित करना सरकार की जिम्मेदारी है।’’ बीजद सदस्यों ने प्रश्नकाल में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया। इस बीच, पत्रकारों ने सदन के अंदर ‘प्रेस गैलरी’ में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध के विरोध में बुधवार को ओडिशा विधानसभा की कार्यवाही का बहिष्कार किया।
हालांकि पत्रकारों को सदन के अंदर मोबाइल फोन ले जाने से रोकने के लिए कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है, लेकिन प्रवेश द्वार पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने पत्रकारों को ये उपकरण ले जाने से रोक दिया। पत्रकारों ने कहा कि सदन के अंदर मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं दिए जाने के कारण वे अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हैं और उन्होंने प्रतिबंध हटाने की मांग को लेकर विधानसभा परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास धरना दिया। मीडिया संस्थानों ने सदन के अंदर विधायकों के बीच धक्का-मुक्की की तस्वीरें और वीडियो प्रसारित की थीं जो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थीं। इसके एक दिन पत्रकारों को मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति नहीं देने का यह कदम उठाया गया।
हालांकि, पत्रकारों ने कहा कि उन्हें प्रश्नकाल के दौरान कार्यवाही की तस्वीरें लेने और वीडियो बनाने का अधिकार है। बीजद विधायक और पूर्व मंत्री अरुण कुमार साहू ने मीडिया पर प्रतिबंध की कड़ी निंदा की और विधानसभा अध्यक्ष से प्रेस की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप न करने का आग्रह किया। साहू ने कहा, ‘‘यह कदम स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने विपक्ष के एक वरिष्ठ सदस्य को निलंबित कर दिया है और अब पत्रकारों पर प्रतिबंध लगा रहे हैं।’’ सदन से निलंबित कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति ने इस कदम की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि उनकी पार्टी पत्रकारों के विरोध का पूरा समर्थन करती है। सरकार के मुख्य सचेतक सरोज प्रधान ने बाद में पत्रकारों के साथ बैठक की और मामले पर चर्चा की।


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