दिल्ली उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम से कारण पूछने संबंधी याचिका खारिज की

नई दिल्ली, शुक्रवार, 31 मई 2024। दिल्ली उच्च न्यायालय ने उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की सिफारिशों को नामंजूर करने के फैसले का विस्तृत कारण बताने को लेकर उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम को निर्देश देने संबंधी याचिका खारिज कर दी और याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया। याचिकाकर्ता राकेश कुमार गुप्ता ने शीर्ष अदालत के कॉलेजियम को उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए विचार की जाने वाली ‘योग्यता’ की जानकारी देने और लंबित एवं निपटाये गये सिफारिशों से संबंधित मासिक डेटा प्रकाशित करने के निर्देश का अनुरोध किया था। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद ने कहा कि अदालत उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम के अधिकार क्षेत्र में दखल नहीं दे सकती और यह याचिका सिर्फ और सिर्फ न्यायापालिका के समय की बर्बादी है।
अदालत ने 27 मई को पारित आदेश में कहा, ”यह अदालत रिट याचिका खारिज करती है और याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाती है, जिसे चार सप्ताह की अवधि के दौरान सशस्त्र सेना युद्ध हताहत कल्याण कोष में जमा कराना होगा। यह रिट याचिका लंबित अर्जियों (अगर कोई है तो) के साथ खारिज की जाती है।” दिल्ली की रोहिणी जिला अदालत में लंबित मुकदमे के निपटारे में देरी का शिकार होने का दावा करने वाले याचिकाकर्ता ने कहा कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम द्वारा सिफारिशों को अस्वीकार करने की ‘उच्च’ दर ‘बेहद चिंतित करने वाली’ है, जो दिखाती है कि नियुक्ति के मानदंडों के संबंध में शीर्ष अदालत और उच्च न्यायालयों के बीच तालमेल की कमी है। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि 2023 में यह दर लगभग 35.29 प्रतिशत थी, जबकि 2021 में यह सिर्फ 4.38 प्रतिशत रही थी।


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