'क्या महाराष्ट्र के अक्षम मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए', आदित्य ठाकरे ने उठाए सवाल
मुंबई, शनिवार, 07 अक्टूबर 2023। महाराष्ट्र के नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी अस्पतालों में हाल ही में कई मरीजों की मौत होने के मद्देनजर, शिवसेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने शनिवार को मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और राज्य के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को ‘अक्षम’ करार दिया तथा सवाल किया कि इन दोनों को बर्खास्त क्यों नहीं किया जाना चाहिए। सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में, आदित्य ने अपने पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के कार्यकाल के दौरान स्वास्थ्य के क्षेत्र में किए गए कार्यों की तुलना मौजूदा ‘अवैध’ शासन से की।
आदित्य ने कहा, ‘‘उनके (मुख्यमंत्री के) गृह जिले ठाणे के बाद, नांदेड़, छत्रपति संभाजीनगर और नागपुर में रातभर शिशुओं और मरीजों की मौत की खबरें आईं। स्वास्थ्य मंत्री बेशर्मी के साथ अनुपस्थित हैं।’’ महाराष्ट्र के नांदेड़ स्थित डॉ. शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 30 सितंबर के बाद 48 घंटों में शिशुओं सहित 31 मरीजों की मौत हो गई, जबकि दो से तीन अक्टूबर के बीच छत्रपति संभाजीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल में 18 मरीजों की मौत हुई। पिछले महीने ठाणे के एक सरकारी अस्पताल में 24 घंटे में 18 मरीजों की मौत हो गई थी।
आदित्य ने दावा किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान, तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने अस्पतालों को कोरोना वायरस संक्रमित महिलाओं के प्रसव के लिए वार्ड बनाने को कहा था। उन्होंने कहा कि अगर नवजात शिशु और बच्चे संक्रमित हो जाते थे तो उनकी देखभाल की जाती थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने कोविड-19 वाले बच्चों के लिए एक बाल चिकित्सा टास्क फोर्स का भी गठन किया था। आदित्य ने कहा, ‘‘आज, इस अवैध शासन के असंवैधानिक मुख्यमंत्री के पास नांदेड़ अस्पताल का दौरा करने का भी समय नहीं है।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘अवैध मुख्यमंत्री मंत्रिमंडल विस्तार के अपने स्वार्थ के लिए दिल्ली दौड़ने में व्यस्त हैं, लेकिन उनके पास स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए समय नहीं है जो सरकार के भ्रष्टाचार के कारण महाराष्ट्र में ढह रहा है। स्वास्थ्य मंत्री बेशर्मी से अनुपस्थित हैं।’’ आदित्य ने पोस्ट में कहा, ‘‘क्या अक्षम मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी की केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की भी मांग की।
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