मंदिरों की भूमि के संरक्षण के लिए नन्दन कानन योजना -देवस्थान मंत्री

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जयपुर, बुधवार, 01 मार्च 2023। देवस्थान मंत्री श्रीमती शकुन्तला रावत ने बुधवार को विधानसभा में कहा कि प्रदेश में मंदिरों की भूमि की चारदीवारी कर उन्हें संरक्षित एवं विकसित करने के लिए देवस्थान विभाग नन्दन कानन योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत पीपल, आंवले तथा कल्पवृक्ष आदि के पौधे लगाकर मंदिरों की भूमि को नन्दन कानन के रूप में विकसित एवं संरक्षित किया जाएगा। देवस्थान मंत्री प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में सदस्य द्वारा पूछे गए पूरक प्रश्नों का जवाब दे रही थीं। उन्होंने कहा कि लाडपुरा विधानसभा क्षेत्र के श्री कर्णेश्वर महादेव मंदिर की भूमि का आधुनिक तकनीक ईपीएस से सीमाज्ञान करने के लिए भू प्रबंध अधिकारी कोटा को निर्देश दिए गए हैं। इसकी अनुपालना में भू प्रबंध अधिकारी ने राजस्व दल का गठन कर इसका प्रारंभिक सीमाज्ञान कर दिया है, जिसकी पूर्णता की रिपोर्ट आना अभी शेष है। उन्होंने कहा कि नवाचार के रूप में सभी मंदिरों की भूमि का आधुनिक तकनीक ईपीएस से सीमाज्ञान करवाया जा रहा है।

देवस्थान मंत्री ने कहा कि जैसे ही सीमाज्ञान की रिपोर्ट आएगी नन्दन कानन योजना के तहत इस मंदिर की भूमि का भी संरक्षण एवं विकास किया जाएगा। उन्होंने कहा कि कर्णेश्वर महादेव मंदिर की भूमि पर रियासतकाल से कब्जा था।

इससे पहले विधायक श्रीमती कल्पना देवी के मूल सवाल के लिखित जवाब में देवस्थान मंत्री ने अवगत कराया कि विधानसभा क्षेत्र लाडपुरा में राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार के 4 मंदिर श्री कर्णेश्वर महादेव कंसुआ, श्री डाढ देवी माताजी मंदिर उम्मेदगंज, मंदिर श्री मुरलीमनोहरजी दीपपुरा तथा श्री गौराजी गढ़ मण्डाना देवस्थान विभाग के अंतर्गत आते हैं। उन्होंने बताया कि इन मंदिरों के अधीन कुल 9.17 हैक्टेयर भूमि दर्ज है। जिसमें मंदिर श्री कर्णेश्वर महादेव कोटा के अधीन 4.95 हैक्टेयर भूमि पर रियासत काल से अतिक्रमण है। देवस्थान विभाग द्वारा वर्ष 1998 से अतिक्रमण मुक्त कराने हेतु कार्यवाही की जा रही है। उन्होंने कहा कि उक्त भूमि के संबंध में न्यायालय उपखण्ड अधिकारी कोटा के यहां वर्ष 2013 से 8 वाद लम्बित है। जिसमें देवस्थान विभाग के निरीक्षक द्वारा प्रभावी पैरवी की जा रही हैं।

देवस्थान मंत्री ने बताया कि  राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर श्री मुरली मनोहरजी के नाम 4.22 हैक्टेयर भूमि दर्ज है जिसको प्रतिवर्ष मुनाफाकाश्त पर दिया जाता है। इस भूमि पर किसी प्रकार का अतिक्रमण नहीं है। राजकीय प्रत्यक्ष प्रभार मंदिर श्री डाढ देवी माताजी उम्मेदगंज कोटा एवं राजकीय प्रभार मंदिर श्री गौराजी गढ़ मण्डाना के नाम कोई भूमि नहीं हैं। अतिक्रमण मुक्त कराये जाने के संबंध में न्यायालय उपखण्ड अधिकारी कोटा के आदेश के अध्याधीन विभाग द्वारा अग्रिम कार्यवाही सम्पादित की जायेगी।

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