सोलर किड्स : अंधेरा होते ही बेजान हो जाते है ये बच्चे

आज आपको ऐसे तीन भाइयों के बारे में बताने जा रहे है जो सूरज की रोशनी पर ही जिंदा है। जी हां, हम बात कर रहे है पाकिस्तान के तीन इलियास (13), राशिद (9) और शोएब (एक साल) सगे भाइयों की। दरअसल, ये तीनों बच्चे एक रहस्यमय बीमारी से जूझ रहे हैं। सूरज की रोशनी में तो ये बच्चे किसी आम बच्चे की ही तरह हंसते-खेलते हैं, लेकिन अंधेरा होते ही इनकी खुशियां गम में बदल जाती हैं। सूरज के इस खास कनेक्शन के चलते ये बच्चे पाकिस्तान में सोलर किड्स के नाम से मशहूर हैं। सैकड़ों तरह की जांच के बावजूद पाकिस्तान के तमाम डॉक्टर इस रहस्यमय बीमारी के बारे में कुछ पता नहीं लगा पाए हैं।
अब अमेरिका और ब्रिटेन के डॉक्टरों से मदद मांगी गई है। सूर्य यानि सृष्टि का जीवन, धरती से 1 करोड़ 50 लाख किलोमीटर दूर गर्म गैसों का ऐसा गोला जिसका तापमान 5505 डिग्री सेंटीग्रेट है, जिससे निकलने वाली किरणें धरती को गर्माहट और जीवन देती हैं। वही किरणें इन तीन अजूबे बच्चों की जिंदगी है। 13 साल का इलियास अपने 9 साल के भाई राशिद के साथ चौके-छक्के लगाता है जबकि एक साल का शोएब इनसे दूर मां की गोद में अठखेलियां करता रहता है, लेकिन जैसे ही सूरज अस्त होता है। शाम होती है धरती पर अंधेरा छाता है।
तीनों बच्चों की जिंदगी की बैटरी जैसे खत्म हो जाती है। तीनों बेबस हो जाते हैं सूरज के साथ उनकी जीवन शक्ति खत्म हो जाती है। वो बेदम बेसहारा हो जाते हैं, उन्हें लकवा मार जाता है। शोएब, राशिद और इलियास शाम ढलते ही जीते जागते बच्चों से मरीजों में बदल जाते हैं। न चल-फिर पाते हैं। न ही अपने हाथ से कुछ खा पाते हैं। बिस्तर पर लेटे-लेटे करवट तक नहीं बदल पाते। शोएब, राशिद और इलियास के पिता मोहम्मद हाशिम पाकिस्तान के क्वेटा के मियां कुड़ी गांव में रहने वाले हैं और पेशे से सिक्योरिटी गार्ड हैं। हाशिम के मुताबिक उनके तीनों बच्चे जन्म के समय से ही इस अजीबो-गरीब बीमारी से पीडि़त हैं। हाशिम से अपने जिगर के टुकड़ों की ये हालत देखी नहीं जाती, लेकिन वो कर भी क्या सकते हैं? अब मीडिया में उनके बच्चों की खबर आने के बाद उन्हें भी आस बंधी है कि आज नहीं तो कल डॉक्टर उनके बच्चों को ठीक कर देंगे।
आपको ये जानकर और हैरानी होगी कि हाशिम के कुल 6 बच्चे हैं, जिसमें से 3 पूरी तरह सामान्य हैं इनमें से 2 लडक़े हैं और लडक़ी। ऐसे में शोएब, राशिद और इलियास की ये अजीबो-गरीब बीमारी और बड़ी पहेली बन गई है। हाशिम का कहना है कि राशिद और इलियास दिन में खेती के काम में उसकी मदद भी करते हैं, लेकिन रात होते ही नन्हा शोएब, राशिद और इलियास बेबस होकर बिस्तर पर पड़े रहते हैं। 9 साल का राशिद बड़ा होकर टीचर बनना चाहता है वहीं बड़ा भाई शोएब इस्लामिक विद्वान बनने के सपने देखता है।


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