जम्मू कश्मीर में परिसीमन पर पाकिस्तानी संसद के प्रस्ताव को भारत ने किया खारिज

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नई दिल्ली, मंगलवार, 17 मई 2022। भारत ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन की कवायद पर पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में पारित प्रस्ताव को मंगलवार को ‘हास्यास्पद’ करार देते हुए कहा कि भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का उसका (पाकिस्तान का) कोई अधिकार नहीं हैं। इस विषय पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा, ‘‘ केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर और लद्दाख का पूरा क्षेत्र भारत का अभिन्न हिस्सा है और हमेशा रहेगा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में परिसीमन की प्रक्रिया पर पाकिस्तान की नेशनल एसेंबली में पारित ‘हास्यास्पद’ प्रस्ताव को सिरे से खारिज करते हैं।’’

बागची ने कहा कि पाकिस्तान को भारत के आंतरिक मामलों के संबंध में बयान देने या इसमें हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नहीं है, जिसमें उसके (पाकिस्तान के) अवैध एवं बलपूर्वक कब्जे वाला भारतीय क्षेत्र भी शामिल है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ हम इस बात पर पुन: जोर देते हैं कि पाकिस्तान भारत के खिलाफ सीमापार से आतंकवाद एवं आतंकी आधारभूत ढांचे को बंद करे तथा अपने कब्जे वाले कश्मीर एवं लद्दाख (पीओजेकेएल) में मानवाधिकारों का लगातार किये जा रहे हनन को रोके।’’ बागची ने यह भी कहा कि पाकिस्तान अपने कब्जे वाले कश्मीर एवं लद्दाख में यथास्थिति में बदलाव करने से दूर रहे और अपने (पाकिस्तान के) अवैध एवं बलपूर्वक कब्जे वाले भारतीय क्षेत्र को खाली करे। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर में परिसमीन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया है जो पक्षकारों की वृहद सहभागिता एवं परामर्श के सिद्धांत पर आधारित है।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ यह खेदजनक है कि अपने देश को व्यवस्थित करने के बजाए पाकिस्तान का नेतृत्व लगातार भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप कर रहा है और आधारहीन एवं उकसाने वाले भारत विरोधी दुष्प्रचार में लगा हुआ है।’’ गौरतलब है कि पाकिस्तान की संसद ने पिछले सप्ताह जम्मू कश्मीर में परिसीमन प्रक्रिया के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया था। प्रस्ताव में आरोप लगाया गया था कि इस भारतीय कदम का लक्ष्य मुस्लिमों की अच्छी खासी आबादी वाले जम्मू्-कश्मीर की चुनावी जनसांख्यिकी में कृत्रिम तरीके से बदलाव करना है। एक दिन पहले, भारत ने जम्मू कश्मीर में परिसीमन पर इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की ‘अवांछित’ टिप्पणियों की अलोचना की थी और उसे एक देश की शह पर ‘साम्प्रदायिक एजेंडा’ चलाने से दूर रहने को कहा था।

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