टैक्सीबोट के इस्तेमाल से बचने वाले ईंधन का आकलन कर रही एयर एशिया इंडिया

नई दिल्ली, रविवार, 08 मई 2022। एयर एशिया इंडिया यह आकलन कर रही है कि वह अपने दो विमानों पर टैक्सीबोट का इस्तेमाल कर कितना ईंधन बचा सकती है। इसके बाद ही वह विमानों के बेड़े के लिए इसके उपयोग पर विचार कर सकती है। एक शीर्ष अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी। टैक्सीबोट एक उपकरण है, जो विमान को इंजन चलाए बिना रनवे पर दौड़ाने में मदद करता है। अपने दो ए320 विमानों में बदलाव करने के बाद एयर एशिया इंडिया ने पिछले साल 23 नवंबर को टैक्सीबोट का इस्तेमाल करना शुरू किया था, ताकि इन विमानों को दिल्ली अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर ले जाया जा सके।
टैक्सीबोट एक अर्द्ध-रोबोटिक ‘टोबार’ रहित उपकरण है, जो किसी विमान को उड़ान के लिए टर्मिनल के द्वार से लेकर जाता है और लैंडिंग के बाद उसे वापस टर्मिनल के द्वार तक पहुंचाता है। जब टैक्सीबोट अपना काम करता है तो विमान का इंजन बंद रहता है। यह पूछने पर कि टैक्सीबोट का इस्तेमाल कर विमानन कंपनी कितना पैसा बचा पाई है, एयर एशिया इंडिया के इंजीनियरिंग विभाग के उपाध्यक्ष सुरिंदर बंसल ने कहा, ‘‘इस बारे में अध्ययन चल रहा है…। पूरे बेड़े में इसे लागू करने के लिए विमानों में बदलाव पर आने वाली खर्च की इससे बचने वाले ईंधन के खर्च से तुलना की जा रही है।’’
उन्होंने कहा कि टैक्सीबोट का इस्तेमाल जमीनी उपकरण की उपलब्धता पर निर्भर है, जो अभी केवल दिल्ली हवाईअड्डे पर मौजूद है। बंसल ने कहा, ‘‘हम हर सप्ताह एक विमान में दो टैक्सीबोट का इस्तेमाल कर सकते हैं।’’ उन्होंने बताया कि एयर एशिया ने दोनों ए320 विमानों में से प्रत्येक में बदलाव करने और उन्हें टैक्सीबोट के अनुकूल बनाने पर करीब 2,000 डॉलर खर्च किए हैं। बंसल के मुताबिक, ईंधन बचाने के अलावा टैक्सीबोट कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन और हवाईअड्डों पर ध्वनि प्रदूषण के स्तर में भी कमी लाता है।


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