चांद और मंगल के बाद अब शुक्र ग्रह पर बजेगा भारत का डंका, 2024 तक इसरो भेजेगा ‘शुक्रयान’
नई दिल्ली, रविवार, 08 मई 2022। भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन ने चंद और मंगल ग्रह पर सफलतापूर्वक मिशन भेजने के बाद अब शुक्र ग्रह पर यान भेजने की तैयारी में हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार यह यान शुक्र का चक्कर लगाते हुए यह पता करेगा कि सबसे गर्म ग्रह की सतह के नीचे क्या है? क्या वहां पर जीवन की संभावना है या नहीं? इसके साथ ही शुक्र ग्रह के सल्फ्यूरिक एसिड के बादलों का राज क्या है? इस यान को शुक्र ग्रह में भेजा जाएगा तो यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस मिशन का नाम ‘शुक्रयान’ रखा जाएगा।
दरअसल, ISRO के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने शुक्र ग्रह पर एक दिवसीय हुई मीटिंग यह बताया कि ISRO के वैज्ञानिकों ने शुक्र ग्रह के मिशन की प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार कर ली है। इस मिशन के लागत की तैयारी हो चुकी है। शुक्र ग्रह में मिशन भेजने के इस प्रोजेक्ट से सरकार और वैज्ञानिक सहमत हैं। सभी की सहमति के बाद अब सही उपकरणों के साथ सैटेलाइट बनाकर उसे शुक्र ग्रह की तरफ लॉन्च करने की तैयारी बाकी है। एक रिपोर्ट में इसरो चेयरमैन एस. समनाथ ने बताया कि भारत के लिए शुक्र ग्रह पर मिशन भेजना आसान काम है. जो क्षमताएं हमारे पास हैं उसके अनुसार हम कम समय में शुक्र ग्रह पर मिशन भेज सकते हैं।
शुक्रयान की लॉन्चिंग के लिए इसरो ने दिसंबर 2024 का समय तय किया है। दरअसल, इस मिशन के लिए यह समय इसलिए तय किया गया है क्योंकि दोनों ग्रहों एक-दूसरे से एक सीधी रेखा रहने से कम ईंधन लगेगा और मिशन आसानी से सफल हो सकता है। अगर दिसंबर 2024 में शुक्रयान की लॉन्चिंग नहीं हो पाती है तो फिर दोबारा ऐसा मौका साल 2031 में मिलेगा।
ISRO प्रमुख एस. सोमनाथ ने कहा कि ‘शुक्र ग्रह पर मिशन भेजने के लिए हम अन्य देशों और स्पेस एजेंसियों की नकल नहीं करेंगे और न ही हम उनके प्रयोगों को दोहराएंगे। इससे कोई फायदा नहीं होता। हम एकदम अलग प्रयोग करेंगे। हम चाहते हैं इसरो वैज्ञानिक शुक्र ग्रह के लिए ऐसे एक्सपेरिमेंट तैयार करें, जो उच्च गुणवत्ता वाले हों। जिनसे नई जानकारी मिले। जैसा इसरो ने चंद्रयान-1 और मंगलयान में किया था। इससे एक बार फिर वैश्विक स्तर पर भारत और उसके वैज्ञानिकों का परचम लहराएगा।’
शुक्रयान में सबसे प्रमुख यंत्र यानी पेलोड हाई रेजोल्यूशन सिंथेटिक अपर्चर रडार होगा। यह यंत्र शुक्र ग्रह की सतह की जांच करेगा। बता दें शुक्र ग्रह की सतह सल्फ्यूरिक एसिड के घने बादलों से घिरा हुआ रहता है इसलिए शुक्र के सतह की जांच की जाएगी। आम तौर पर शुक्र ग्रह की सतह न दिखने का कारण यही है। इसरो की स्पेस साइंस प्रोग्राम ऑफिसर टी. मारिया एंटोनिटा ने बताया कि अब तक सतह के नीचे की स्टडी किसी देश या स्पेस एजेंसी ने नहीं की है। यह काम दुनिया में भारत पहली बार करने जा रहा है। हम शुक्र ग्रह के ऊपर सब-सरफेस रडार उड़ाने जा रहे हैं। शुक्रयान मिशन में इसरो ऐसा यंत्र शुक्र ग्रह पर भेजने जा रहा है, जो वहां के वायुमंडल की इंफ्रारेड, अल्ट्रावॉयलेट और सबमिलिमीटर वेवलेंथ की जांच करेगा। उम्मीद जताई जा रही है कि इस मिशन को इसरो भरोसेमंद रॉकेट GSLV MK-2 से लॉन्च किया जाएगा।
एस. सोमनाथ ने जानकारी दी कि शुक्रयान के लिए जो एक्सपेरिमेंट प्लान किये गए हैं, उनमें शामिल हैं- सतह की जांच करना, सतह के निचले हिस्से की परतों की जांच करना, सक्रिय ज्वालामुखियों का पता लगाना, लावा के बहाव की जानकारी जुटाना, शुक्र ग्रह के ढांचे और आकार की बाहरी और आंतरिक संरचना की स्टडी, शुक्र ग्रह के वायुमंडल की जांच करना और सौर हवाओं से शुक्र ग्रह का संबंध पता करना।
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