सोनोवाल ने भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ‘फ्यूल सेल’ पोत के वाणिज्यिक संचालन की शुरुआत की

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वाराणसी (उप्र), गुरुवार, 11 दिसंबर 2025। केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने बृहस्पतिवार को वाराणसी में भारत के पहले स्वदेशी हाइड्रोजन ‘फ्यूल सेल’ पोत को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया, जो स्वच्छ एवं टिकाऊ अंतर्देशीय जल परिवहन की दिशा में देश के प्रयासों में एक मील का पत्थर है। यहां नमो घाट पर आयोजित एक समारोह में सोनोवाल ने पोत के वाणिज्यिक संचालन की शुरुआत की। समारोह को संबोधित करते हुए सोनोवाल ने कहा, ‘‘यह केवल तकनीकी प्रगति ही नहीं बल्कि यह दर्शाता है कि हम हरित ऊर्जा और स्‍वदेशी समाधान की दिशा में पूरे भरोसे के साथ आगे बढ़ रहे हैं। मैं विशेष रूप से उल्लेख करना चाहूंगा कि हाइड्रोजन ईंधन आज की एक नयी और उभरती हुई तकनीक है जो स्वच्छ और टिकाऊ ऊर्जा का बड़ा विकल्प बनकर सामने आ रही है।’’

उन्‍होंने कहा कि इस तकनीक से जहाजों से गैस का निकलना न के बराबर है, जिससे यह पर्यावरण के लिए एक सुरक्षित समाधान बन सकता है। हालांकि, इस दिशा में अभी और अनुसंधान व परीक्षण जारी है ताकि इसे पूरी तरह व्यावसायिक रूप से अपनाया जा सके। केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘‘यह राष्ट्रीय गौरव की बात है कि भारत अब चीन, नॉर्वे, नीदरलैंड और जापान जैसे देशों की सूची में शामिल हो गया है जो हाइड्रोजन से चलने वाले पोत का संचालन करते हैं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह साबित करता है कि हमारी तकनीकी क्षमताएं भविष्य के लिए तैयार हैं। यह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व के कारण संभव हुआ है। जिस गति और दृष्टिकोण के साथ हर क्षेत्र को आगे बढ़ाया गया है, उसने यह सुनिश्चित किया है कि अब अंतर्देशीय जलमार्ग भारत की विकास यात्रा में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।’’ इस मौके पर परिवहन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह, आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर मिश्र 'दयालु', स्टाम्प और कोर्ट शुल्क, पंजीकरण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) रविंद्र जायसवाल के साथ-साथ अनेक जनप्रतिनिधि मौजूद थे।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, यह पहल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत के अंतर्देशीय जलमार्गों के आधुनिकीकरण का हिस्सा है, जिन्होंने स्वच्छ परिवहन, बेहतर कनेक्टिविटी और बढ़ी हुई सार्वजनिक सुविधा को प्राथमिकता दी है। भारत सरकार और भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण (आईडब्‍लूएआई) ने पिछले कुछ वर्षों में जल-आधारित संचार को मजबूत करने और साजोसामान संबंधी लागत को कम करने के लिए नौवहन मार्गों का विस्तार किया है, आधुनिक टर्मिनल शुरू किए हैं और नए यात्री व व्यापारिक मार्गों को चालू किया है।

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