अरुणाचल की ‘याक चुरपी’ को जीआई टैग मिला

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ईटानगर, सोमवार, 24 नवंबर 2025। अरुणाचल प्रदेश की सदियों पुरानी पहाड़ी पारंपरिक खाद्य सामग्री ‘याक चुरपी’ को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग मिल गया है। राज्य के उपमुख्यमंत्री चौना मेन ने सोमवार को एक पोस्ट में कहा कि जीआई टैग न केवल एक पारंपरिक उत्पाद के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्वतीय समुदायों के लिए गर्व का क्षण है, जिनकी पहचान और अस्तित्व याक संस्कृति और हिमालयी पारिस्थितिकी के साथ जुड़ी हुई है। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि याक चुरपी लंबे समय से तवांग और पश्चिम कामेंग जैसे कठिन और ऊंचाई वाले इलाकों में रहने वाली पीढ़ियों का सहारा बनी हुई है और इसकी खासियत ज्यादा पोषक होना और लंबे समय तक खराब न होने वाली प्रकृति है। उन्होंने ‘एक्स’ पर कहा, “याक चुरपी पीढ़ियों से हमारे ऊंचाई वाले क्षेत्रों में जिंदगी का एक सरल, लेकिन महत्वपूर्ण हिस्सा रही है।’

उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि दूरदराज और जलवायु रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को खाने के अहम स्रोत के रूप में ऐतिहासिक रूप से ‘चीज़’ परोसा जाता रहा है, क्योंकि वहां पर कृषि के सीमित विकल्प होते हैं। ‘याक चुरपी’ एक पारंपरिक पहाड़ी खाद्य पदार्थ है, जो याक के दूध से बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि अब उत्पाद को औपचारिक रूप से जीआई (पंजीकरण संख्या 809) के तहत पंजीकृत कर दिया गया है और यह पहचान मिलने से इसकी सांस्कृतिक स्थिति और बाजार व्यवहार्यता दोनों में वृद्धि होने की उम्मीद है।

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