मेनका गांधी ने आवारा पशुओं पर उच्चतम न्यायालय के आदेश को ‘अव्यावहारिक’ बताया

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नई दिल्ली, गुरुवार, 13 नवंबर 2025। पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने बृहस्पतिवार को आवारा पशुओं को हटाने और उन्हें आश्रय गृहों में रखने के उच्चतम न्यायालय के हालिया निर्देश को ‘‘अव्यावहारिक’’ बताया और कहा कि पशुओं के प्रति भारत का दृष्टिकोण करुणा पर आधारित होना चाहिए। उच्चतम न्यायालय ने पिछले सप्ताह शैक्षणिक केंद्रों, अस्पतालों, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशनों जैसे संस्थागत क्षेत्रों में कुत्तों के काटने की घटनाओं में ‘‘खतरनाक वृद्धि’’ पर गौर किया और अधिकारियों को ऐसे कुत्तों को निर्दिष्ट आश्रय स्थलों में भेजने का निर्देश दिया।

शीर्ष न्यायालय ने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) सहित संबंधित अधिकारियों को राजमार्गों और एक्सप्रेसवे से आवारा पशुओं व मवेशियों को हटाने के निर्देश दिए हैं। यहां एक कार्यक्रम में सवालों के जवाब में मेनका गांधी ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय ने कहा है कुत्ते हटाओ, बिल्ली हटाओ, बंदर हटाओ, उन्हें आश्रय स्थल में रखो, उनकी नसबंदी करो, लेकिन वास्तव में कोई ऐसा नहीं कर सकता... यह अव्यावहारिक है।’’

उन्होंने नगर निकायों के बीच समन्वय की कमी पर भी सवाल उठाया और कहा कि पशुओं के प्रति भारत के दृष्टिकोण का मार्गदर्शन करुणा से होना चाहिए, न कि नियंत्रण से। पूर्व सांसद ने ‘सिनेकाइंड’ की शुरुआत के अवसर पर यह बात कही। यह पहल ‘फिल्म फेडरेशन ऑफ इंडिया’ (एफएफआई) द्वारा मेनका के संगठन ‘पीपुल फॉर एनिमल्स’ (पीएफए) के सहयोग से शुरू की गई है, जिसका मकसद सिनेमा में दयालुता और मानवीय कहानी दर्शाने वालों को सम्मानित करना है। इन पुरस्कारों का उद्देश्य फिल्म निर्माताओं को पशुओं और प्रकृति के प्रति सहानुभूति को कमजोरी के बजाय ताकत के रूप में चित्रित करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

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