मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पुंछ में भू-धंसाव प्रभावित गांव का दौरा किया

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कालाबन (पुंछ), बुधवार, 17 सितंबर 2025। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने बुधवार को सीमावर्ती क्षेत्र में भूमि धंसने से हुए नुकसान का आकलन करने के लिए पुंछ जिले के कालाबन गांव का दौरा किया। नियंत्रण रेखा (एलओसी) के समीप स्थित मेंढर तहसील के कालाबन गांव में 11 सितंबर से लगातार जमीन धंसने की घटनाएं हो रही हैं जिससे अब तक एक हजार से अधिक लोग प्रभावित हुए है। इस आपदा में 95 से ज्यादा मकान, एक कब्रिस्तान और एक मस्जिद को नुकसान पहुंचा। प्रभावित लोगों को सुरक्षित आश्रयों में स्थानांतरित किया गया है। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री अब्दुल्ला हेलिकॉप्टर से गांव पहुंचे और उन क्षेत्रों का निरीक्षण किया जहां भू-धंसाव के कारण घरों, सड़कों और अन्य आधारभूत ढांचे को क्षति पहुंची है।

मुख्यमंत्री ने मौके पर मौजूद लोगों से मुलाकात की, उनकी शिकायतें सुनीं और उन्हें सरकार की ओर से हरसंभव सहायता का आश्वासन दिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिया कि प्रभावित लोगों के रहने और खाने की सभी आवश्यक जरूरतें तुरंत पूरी की जाएं। उपायुक्त अशोक शर्मा और मंत्री एवं स्थानीय विधायक जावेद राणा सहित अन्य अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को स्थिति की विस्तृत जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि मुख्यमंत्री को आपदा और उसके बाद प्रशासन द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में व्यापक जानकारी दी गई।

अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि प्रभावित इलाकों से लोगों और उनके सामान को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाने के लिए वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। साथ ही, क्षति का आकलन करने के लिए टीमें कार्यरत हैं जो उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों की पहचान कर रही हैं ताकि भविष्य में संभावित नुकसान को रोका जा सके। अधिकारियों ने बताया कि प्रशासन, गैर सरकारी संगठनों और स्वयंसेवकों के माध्यम से राहत प्रयासों में समन्वय के लिए उप-मंडल स्तर पर एक अस्थायी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है।

अब्दुल्ला को बताया गया कि विस्थापित परिवारों को तत्काल राहत के लिए 77 टेंट और 100 तिरपाल शीट उपलब्ध कराई गई हैं। उन्होंने बताया कि कालाबन और फैजाबाद के पंचायत घरों में राहत शिविर स्थापित किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि मानसून के बाद के इस दौर में जम्मू, रामबन, पुंछ, राजौरी और रियासी जिलों के 11 गांवों में भू-धंसाव की घटनाएं सामने आई हैं जिनमें दो सौ से अधिक मकानों को नुकसान पहुंचा है और तीन हजार से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।

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