संभावना है कि अधिकतर राज्यों में कई मतदाताओं को एसआईआर में कोई दस्तावेज न देना पड़े: अधिकारी

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नई दिल्ली, बुधवार, 17 सितंबर 2025। निर्वाचन आयोग के अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि अधिकतर राज्यों में आधे से ज्यादा मतदाताओं को संभवत: कोई दस्तावेज देने की जरूरत नहीं पडेगी, क्योंकि उनके नाम उनके राज्यों में हुए पिछले विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद तैयार मतदाता सूची में शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि ज्यादातर राज्यों में मतदाता सूची का आखिरी विशेष गहन पुनरीक्षण 2002 और 2004 के बीच हुआ था। अगले एसआईआर के लिए इसी साल को उनकी कट-ऑफ तारीख का आधार माना जाएगा। अधिकारियों ने पहले बताया था कि आयोग जल्द ही पूरे भारत में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करने की तारीख तय करेगा और राज्यों में मतदाता सूची की समीक्षा का काम साल के अंत से पहले शुरू हो सकता है।

मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि वे पिछले एसआईआर के बाद प्रकाशित अपने राज्यों की मतदाता सूची तैयार रखें। कुछ राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों ने पिछली एसआईआर के बाद प्रकाशित मतदाता सूची अपनी वेबसाइटों पर डाल रखी है। दिल्ली के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर 2008 की मतदाता सूची है जब राष्ट्रीय राजधानी में आखिरी गहन पुनरीक्षण हुआ था। उत्तराखंड में, अंतिम एसआईआर 2006 में हुआ था और उस वर्ष की मतदाता सूची अब राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी की वेबसाइट पर उपलब्ध है।

राज्यों में अंतिम एसआईआर कट-ऑफ तिथि के रूप में काम करेगा, ठीक उसी तरह जैसे बिहार की 2003 की मतदाता सूची का उपयोग आयोग द्वारा गहन पुनरीक्षण के लिए किया जा रहा है। आयोग द्वारा बिहार चुनाव आयोग को जारी निर्देशों के अनुसार, 2003 के विशेष गहन पुनरीक्षण में सूचीबद्ध 4.96 करोड़ मतदाताओं (कुल मतदाताओं का 60 प्रतिशत) को अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान साबित करने के लिए कोई भी सहायक दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं है, सिवाय संशोधन के बाद जारी किए गए मतदाता सूची के प्रासंगिक भाग के।

इसमें कहा गया है कि अन्य तीन करोड़ (लगभग 40 प्रतिशत) को अपनी जन्मतिथि या जन्मस्थान स्थापित करने के लिए 12 सूचीबद्ध दस्तावेजों में से कोई एक प्रदान करना होगा। मतदाता बनने या राज्य के बाहर से स्थानांतरित होने के इच्छुक आवेदकों की एक श्रेणी के लिए एक अतिरिक्त ‘घोषणा पत्र’ जारी किया गया है। उन्हें यह शपथपत्र देना होगा कि उनका जन्म 1 जुलाई, 1987 से पहले भारत में हुआ था और उन्हें जन्मतिथि और/या जन्मस्थान से संबंधित कोई भी दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा।

घोषणा पत्र में सूचीबद्ध विकल्पों में से एक विकल्प यह है कि उनका जन्म 1 जुलाई, 1987 और 2 दिसंबर, 2004 के बीच भारत में हुआ हो। ऐसे लोगों को अपने माता-पिता की जन्मतिथि/स्थान से संबंधित दस्तावेज भी प्रस्तुत करने होंगे।  बिहार में विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले एसआईआर की विपक्षी दलों ने आलोचना की है। विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया के समय पर सवाल उठाया है और दावा किया है कि करोड़ों पात्र नागरिकों को दस्तावेजों के अभाव में मताधिकार से वंचित कर दिया जाएगा। उच्चतम न्यायालय ने आयोग से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी पात्र नागरिक वंचित न रह जाए।

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