जलवायु परिवर्तन के कारण 2000 से एशियाई पर्वतीय क्षेत्रों में बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हुई

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नई दिल्ली, शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025। जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया के उच्च पर्वतीय क्षेत्रों(एचएमए) में बाढ़ आने की घटनाएं वर्ष 2000 के बाद से काफी बढ़ गई हैं। एक नए अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है। पर्यावरण विशेषज्ञ सोनम वांगचुक सहित वैज्ञानिकों के एक दल द्वारा किए गए अध्ययन में 1950 से अब तक बाढ़ के 1,015 मामलों का विश्लेषण किया गया। वैज्ञानिकों ने कहा कि 1950 के बाद से इस क्षेत्र के औसत तापमान में लगातार वृद्धि हुई है, जो प्रति दशक 0.3 डिग्री सेल्सियस की दर से बढ़ रहा है। उनके मुताबिक, इस बीच स्थान और समय दोनों के संदर्भ में बारिश के पैटर्न जटिल तरीकों से बदल गए हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से बढ़ती गर्मी और बारिश के पैटर्न में बदलाव के कारण क्षेत्र का जल चक्र प्रभावित हो रहा है और बाढ़ का खतरा बढ़ रहा है।

अध्ययन के लेखकों ने कहा, “समयबद्ध प्रवृत्तियों के संदर्भ में, 2000 के बाद से दर्ज बाढ़ की घटनाओं की आवृत्ति पहले की अवधि की तुलना में आम तौर पर बढ़ी है, जिसमें बारिश के कारण आने वाली बाढ़ और बर्फ पिघलने से उत्पन्न होने वाली बाढ़ में काफी वृद्धि देखी गई है।”  अंतरराष्ट्रीय एकीकृत पर्वतीय विकास केन्द्र (आईसीआईएमओडी) ने एक बयान में कहा, “अध्ययन से यह पुष्टि होती है कि बाढ़ की आवृत्ति बढ़ी है, लेकिन एक महत्वपूर्ण अतिरिक्त निष्कर्ष यह है कि बाढ़ के समय की अनिश्चितता में वृद्धि हुई है: हालांकि अधिकांश घटनाएं मानसून के दौरान होती रहती हैं, लेकिन इन अवधि के अलावा बाढ़ की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।”

एचएमए, जिसे ‘एशियन वॉटर टॉवर’ के नाम से भी जाना जाता है, ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर जमे हुए पानी का सबसे बड़ा स्रोत है। यह 10 प्रमुख नदियों को पानी देता है जो नीचे की ओर 2 अरब से अधिक लोगों का भरण-पोषण करता है। अपनी ऊंचाई और विशाल बर्फ आच्छादन के कारण, एचएमए जलवायु परिवर्तन के प्रति बेहद संवेदनशील है। पहले के अध्ययनों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में तापमान वैश्विक औसत से दोगुनी गति से बढ़ रहा है, जिससे बारिश के पैटर्न में बदलाव आ रहा है। इससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया है, खासकर ग्लेशियल झील के फटने से होने वाली बाढ़ (जीएलओएफ), जो आम होती जा रही है।

उदाहरण के लिए, 2023 की गर्मियों में भारत, नेपाल और पाकिस्तान के दक्षिणी हिमालय में मानसून से उत्पन्न बाढ़ से 1,500 से अधिक लोग मारे गए। आईसीआईएमओडी ने कहा कि अध्ययन से यह पुष्टि होती है कि तेल, कोयला और गैस के जलने से क्षेत्र में बाढ़ की आवृत्ति बढ़ रही है। बाढ़ का सबसे आम प्रकार भारी बारिश और पिघलती बर्फ के कारण होता है। कम बार लेकिन कहीं अधिक अचानक आने वाली विनाशकारी बाढ़ें जीएलओएफ और भूस्खलन-बाधित झीलों में उफान से आने वाली बाढ़ हैं। वांगचुक ने चेतावनी देते हुए कहा, “बाढ़ के नियम बदल रहे हैं और अनुकूलन के अवसर समाप्त होते जा रहे हैं।”

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