प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के प्रयास जरूरी - राज्यपाल

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  • कृषि विश्वविद्यालय का छठा दीक्षांत समारोह राज्यपाल ने प्रदान की उपाधियां, स्वर्ण पदक दिए

जयपुर, शनिवार, 15 फ़रवरी 2025। राज्यपाल श्री हरिभाऊ बागडे ने कृषि शिक्षा के अंतर्गत प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन दिए जाने की आवश्यकता प्रतिपादित करते हुए कहा है कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्राकृतिक खेती के पाठ्यक्रम बनाकर उन्हें लागू किए जाने चाहिए। इसके साथ ही प्रसार शिक्षा के अंर्तगत भी प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन के लिए खेत-खेत में प्रचार किया जाना चाहिए।  राज्यपाल श्री बागडे ने यह बात शनिवार को जोधपुर में कृषि विश्वविद्यालय के छठे दीक्षांत समारोह में  संबोधित करते हुए कही। राज्यपाल ने इस दौरान उपाधियां एवं स्वर्ण पदक प्रदान किए।   

पूर्व कुलपति डॉ. जे.एस. संधु को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि

राज्यपाल ने डॉ जे.एस. संधु, पूर्व कुलपति श्री कर्ण नरेंद्र कृषि विश्वविद्यालय जोबनेर को डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि प्रदान की।

प्रकाशनों का विमोचन

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय के विभिन्न प्रकाशनों का विमोचन किया। इनमें पोस्ट ग्रेजुएट एंड पीएचडी स्टडी रेगुलेशन, सेलेबस पोस्ट ग्रेजुएट एंड पीएचडी प्रोग्राम तथा कोर्स करिकुलम, बी.टैक. एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग शामिल हैं।

वर्तमान चुनौतियों के मद्देनज़र सार्थक प्रयास जरूरी

दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री बागड़े ने कहा कि प्राकृतिक विषमताओं और जलवायु परिवर्तन के दौर में विभिन्न संकटों पर नियंत्रण के लिए देश भर में इस समय ‘प्राकृतिक खेती’ के लिए अभियान चलाए जाने की आवश्यकता है। प्राकृतिक खेती और वृक्षारोपण जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से बचने का प्रभावी उपाय है। इसके लिए कृषि में सहनशील किस्मों और नई प्रौद्योगिकियों का विकास किया जाए। इन किस्मों के गुणवत्तायुक्त बीज की उपलब्धता सुनिश्चित की जाए, इससे न केवल क्षेत्र के किसान लाभान्वित होंगे अपितु राज्य में कृषि के विकास को भी नवीन गति मिलेगी। 

पानी की बचत वाली फसलों पर जोर

उन्होंने कहा कि कम पानी में अच्छी फसल हमारी प्राथमिकता होना चाहिए। खेती को पानी की बहुत जरूरत रहती है। बारिश का पानी खेत में ही रहे, इसके लिए भी कृषि शिक्षा के अंतर्गत आप लोग प्रयास करें। पानी की बचत ही पानी का निर्माण करना है। 

किसानों के लिए प्रत्यक्ष लाभकारी उपाय सुनिश्चित करें

राज्यपाल ने कृषि शिक्षा के अंतर्गत शिक्षण, अनुसंधान और प्रसार की दिशा में मौलिक दृष्टि रखते हुए कार्य करने पर जोर देते हुए कहा कि कृषि शिक्षा इस तरह की हो जिससे किसानों को सीधा खेत पर उसका लाभ मिल सके। इसी तरह स्थान विशेष की भौगोलिक स्थिति, जलवायु और जल उपलब्धता से जुड़े संदर्भों में कृषि विकास अनुसंधान के लिए कार्य हो। प्रसार शिक्षा का मूल आधार भी यह होना चाहिए कि जो कुछ कृषि विश्वविद्यालय शोध और शिक्षा के लिए नया करें, उसका लाभ सीधे खेतों तक पहुंचे। 

श्री अन्न का प्रचार-प्रसार करें

राज्यपाल ने मोटे अनाज के महत्व को देखते हुए श्री अन्न के अधिकाधिक उपयोग एवं इसके महत्व के प्रचार-प्रसार की जरूरत बताई। उन्होंने युवा पीढ़ी को कृषि से जुड़े स्टार्टअप्स की ओर प्रेरित करने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि इससे कृषि के क्षेत्र में नवाचार, संसाधन प्रबंधन और उत्पादन को बढ़ावा देने में उनकी सहभागिता में अभिवृद्धि होगी। 

विश्वविद्यालय की सराहना

राज्यपाल ने विश्वविद्यालय में स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा देने और निर्यात के नए अवसर प्रदान करने के लिए ‘एक के.वी.के., एक उत्पाद’ की पहल की सराहना की और कहा कि इस तरह की योजनाएं किसानों की आय बढ़ाने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाएंगी।

इनका लोकार्पण

दीक्षान्त समारोह से राज्यपाल श्री बागडे ने कृषि विश्वविद्यालय पहुंचकर सेन्टर ऑफ एक्सीलेंस ऑन मिलेट्स डॉ बीआरसी एआरएस मण्डोर, कॉलेज ऑफ डेयरी एंड टेक्नोलॉजी संवत कुआं,बावड़ी जोधपुर, कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी एंड एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग संवत कुआं बावड़ी जोधपुर, बिल्डिंग एंड किसान होटल केवीके रायपुर (पाली), बिल्डिंग एंड किसान होटल, केवीके बामनवाड़ा जालौर,  बॉयज हॉस्टल कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर नागौर, गर्ल्स हॉस्टल कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर नागौर, टिश्यू कल्चर लेब, एयू जोधपुर सहित विश्वविद्यालय की 8 विभिन्न ईकाइयों के भवनों का लोकार्पण किया। 

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