ईवीएम सत्यापन के अनुरोध वाली याचिका पर न्यायालय की दूसरी पीठ सुनवाई करेगी : प्रधान न्यायाधीश

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नई दिल्ली, शुक्रवार, 20 दिसम्बर 2024। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) के सत्यापन के लिए नीति बनाने के अनुरोध वाली याचिका पर अब न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ अगले साल जनवरी में सुनवाई करेगी। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने कहा कि हरियाणा के पूर्व मंत्री एवं पांच बार के विधायक करण सिंह दलाल और लखन कुमार सिंगला की ताजा याचिका पर न्यायमूर्ति दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ 20 जनवरी 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में सुनवाई करेगी। अप्रैल की शुरुआत में न्यायमूर्ति खन्ना और न्यायमूर्ति दत्ता की पीठ ने मतपत्रों का इस्तेमाल फिर से शुरू करने का अनुरोध खारिज कर दिया था। शुक्रवार को सुनवाई शुरू होने पर निर्वाचन आयोग की से पेश वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह ने याचिका को खारिज करने का अनुरोध करते हुए कहा कि समान राहत के आग्रह वाली इसी तरह की याचिकाएं पहले ठुकरा दी गई थीं। इस प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि अब न्यायमूर्ति दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ मामले पर सुनवाई करेगी। 

इससे पहले, 13 दिसंबर को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति पीबी वराले की पीठ ने यह कहते हुए याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया था कि इस पर उस पीठ को विचार करना चाहिए, जिसने इसी तरह की पिछली अर्जियों पर सुनवाई की थी। इसके बाद याचिका को प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सूचीबद्ध किया गया था। शीर्ष अदालत ने 26 अप्रैल के अपने फैसले में ईवीएम के साथ छेड़छाड़ के संदेह को ‘‘बेबुनियाद’’ करार दिया था। उसने कहा था कि मतदान उपकरण ‘‘सुरक्षित’’ हैं और इन्होंने ‘‘बूथ कैप्चरिंग’’ व फर्जी मतदान की आशंका समाप्त कर दी है।

हालांकि, न्यायालय ने चुनाव में दूसरा और तीसरा स्थान हासिल करने वाले असफल उम्मीदवारों को निर्वाचन आयोग को शुल्क के भुगतान के बाद लिखित अनुरोध पर हर विधानसभा क्षेत्र में पांच फीसदी ईवीएम में लगे ‘माइक्रोकंट्रोलर चिप’ के सत्यापन की मांग करने की छूट दे दी थी। दलाल और सिंगला की ओर से दायर ताजा याचिका में ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स बनाम भारत संघ’ मामले में शीर्ष अदालत के 26 अप्रैल के फैसले का अनुपालन करने का अनुरोध किया गया है। दलाल और सिंगला अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में दूसरे स्थान पर रहे थे। उन्होंने निर्वाचन आयोग को ईवीएम के चार घटकों-नियंत्रण इकाई, मतपत्र इकाई, वीवीपैट और प्रतीक लोडिंग इकाई– की मूल ‘‘बर्न मेमोरी’’ या ‘माइक्रोकंट्रोलर चिप’ की जांच के लिए एक प्रोटोकॉल लागू करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

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