तृणमूल सांसद ने अदाणी के खिलाफ आरोपों को लेकर भाजपा सरकार की ‘संलिप्ततता’ पर सवाल खड़ा किया

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नई दिल्ली, गुरुवार, 21 नवंबर 2024। अरबपति उद्योगपति गौतम अदाणी पर अमेरिका में रिश्वतखोरी और धोखाधड़ी के मामले में आरोप लगाए जाने के बाद तृणमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले ने बृहस्पतिवार को पूछा कि क्या नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसमें शामिल है।  गोखले ने कहा कि अभियोग की खबर पर जब बाजार प्रतिक्रिया कर रहे थे तब सरकार इस मुद्दे पर ‘‘चुप’’ थी। अदाणी पर अमेरिकी अभियोजकों ने सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए अनुकूल शर्तों के बदले कई वर्षों तक इस योजना के संदर्भ में भारतीय अधिकारियों को कथित रूप से 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर की रिश्वत देने में उनकी भूमिका को लेकर आरोप लगाया है। 

इस मुद्दे पर कांग्रेस के हमले पर प्रतिक्रिया देते हुए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने घटनाक्रम के समय को लेकर सवाल उठाया है, क्योंकि यह संसद सत्र की शुरुआत और डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति पद संभालने से ठीक पहले हुआ है। भाजपा के आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) विभाग के प्रमुख अमित मालवीय ने कहा कि अभियोग में जिन राज्यों का उल्लेख किया गया है, जहां सरकारी अधिकारियों को अदाणी समूह द्वारा कथित तौर पर रिश्वत दी गई थी, वहां उस समय विपक्षी दल का शासन था। 

गोखले ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में शेयर बाजार की अद्यतन जानकारी साझा की, जिसमें ‘अदाणी एनर्जी’ के शेयरों में गिरावट नजर आ रही है। तृणमूल सांसद ने कहा, ‘‘अमेरिका में अभियोग की खबर के बाद ‘अदाणी एनर्जी’ के शेयरों में भारी गिरावट आई है।’’ गोखले ने कहा, ‘‘बाजार में हलचल है, लेकिन भारत सरकार पूरी तरह चुप है। आरोप सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को रिश्वत देने के हैं। इसमें (नरेन्द्र) मोदी और भाजपा की कितनी संलिप्तता है?’’ अदाणी समूह के शेयरों को बृहस्पतिवार सुबह के कारोबार में भारी गिरावट का सामना करना पड़ा, जिससे सभी सूचीबद्ध कंपनियों का संयुक्त बाजार मूल्यांकन 2.45 लाख करोड़ रुपये घट गया।

एक अन्य पोस्ट में राज्यसभा सदस्य ने कहा कि अभियोग में मुख्य बात यह है कि कथित तौर पर पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) और सरकारी कंपनियों को रिश्वत दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत ही घटिया है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय एजेंसियां ​​भाजपा के इशारे पर काम कर रही हैं, इसलिए केवल स्वतंत्र न्यायिक जांच से ही सच्चाई सामने आ सकेगी।।’’ तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने भी ‘एक्स’ पर पोस्ट किया कि आरोपों में सरकारी अधिकारियों को रिश्वत देकर ‘‘अदाणी अक्षय ऊर्जा को लाभ पहुंचाने के लिए बाजार से अधिक दर पर बिजली खरीदना’’ शामिल है।

न्यूयॉर्क के पूर्वी जिले के अमेरिकी अटॉर्नी कार्यालय की एक विज्ञप्ति को साझा करते हुए मोइत्रा ने कहा, ‘‘अदाणी और उनके सात वरिष्ठ अधिकारियों को कई करोड़ डॉलर की रिश्वत देने और अमेरिकी निवेशकों से रिश्वतखोरी की योजना को छिपाने की साजिश के संबंध में दोषी ठहराया गया है।’’ उन्होंने भारतीय प्रतिभूति और विनमय बोर्ड (सेबी) की प्रमुख माधबी पुरी बुच पर भी कटाक्ष किया। मोइत्रा ने अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) द्वारा इस मामले पर एक प्रेस विज्ञप्ति को साझा करते हुए लिखा, ‘‘सुप्रभात सुश्री माधबी। ‘अदाणी, बुच के खिलाफ कोई सबूत नहीं’। सुप्रभात रीढ़विहीन सेबी। यहां आपके भाई के लेन-देन का विवरण देने वाली एसईसी की प्रेस विज्ञप्ति है।’’

अमेरिकी ‘शॉर्ट-सेलर’ एवं निवेश शोध कंपनी ‘हिंडनबर्ग रिसर्च’ ने आरोप लगाया था कि उसे संदेह है कि सेबी की अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई करने की अनिच्छा शायद इसलिए है क्योंकि इसकी प्रमुख माधबी बुच के पास समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी है। बुच और अदाणी ने हिंडनबर्ग के आरोपों का खंडन किया था। अमेरिकी अभियोजकों ने 62 वर्षीय अदाणी, उनके भतीजे सागर और अन्य प्रतिवादियों पर सौर ऊर्जा अनुबंध हासिल करने के लिए 2020 से 2024 के बीच भारतीय सरकारी अधिकारियों को 25 करोड़ अमेरीकी डॉलर से अधिक की रिश्वत देने का आरोप लगाया है। एक अनुमान के अनुसार इससे समूह को संभावित रूप से दो अरब डॉलर से अधिक का लाभ हो सकता है।

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