नवरात्र में अखंड ज्योति जलाने से पहले जान लें ये नियम

नवरात्रि, जिसे मां दुर्गा के नौ रूपों की उपासना के रूप में मनाया जाता है, एक महत्वपूर्ण हिंदू पर्व है। इस दौरान भक्त माता को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों तक उपवास रखते हैं और मां के लिए अखंड ज्योति जलाते हैं। अखंड ज्योति का अर्थ है वह ज्योति जो नौ दिनों तक निरंतर जलती रहे। यह ज्योति प्रतिपदा के दिन कलश स्थापना के समय प्रज्वलित की जाती है और इसका विशेष महत्व है।
अखंड ज्योति का महत्व
अखंड ज्योति केवल एक प्रकाश नहीं है; यह मां के प्रति भक्ति, समर्पण और श्रद्धा का प्रतीक है। इसे जलाने का उद्देश्य माता की कृपा प्राप्त करना और घर में सुख-समृद्धि लाना है। यह ज्योति पूरे नौ दिनों तक जलती है, जो भक्तों के लिए एक शक्ति और साहस का स्रोत बनती है।
अखंड ज्योति जलाने की तैयारी
अखंड ज्योति जलाने से पहले कुछ आवश्यक बातें ध्यान में रखनी चाहिए:
दीपक का चयन: अखंड ज्योति के लिए एक ऐसा दीपक चुनें, जो मजबूत और बड़ा हो, ताकि यह लंबे समय तक जल सके। इसके अलावा, दीपक को मिट्टी का होना चाहिए ताकि यह प्राकृतिक रूप से जल सके।
ज्योत की बत्ती: ज्योति की बत्ती इतनी लंबी होनी चाहिए कि यह कई घंटे तक जल सके। आप चाहें तो बत्ती को कलावे से बना सकते हैं, जिसमें चावल भरे जाते हैं।
घी का उपयोग: दीपक में केवल शुद्ध देसी घी भरें। इसे स्नान करके और शुद्ध होकर ही भरना चाहिए, क्योंकि यह धार्मिक अनुष्ठान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
स्वच्छता का ध्यान: अखंड ज्योति को गंदे हाथों से नहीं छूना चाहिए। हमेशा साफ-सुथरे हाथों से ही दीपक का संचालन करें।
स्थान का चयन: दीपक को माता के पास जमीन पर रखने के बजाय एक थाली में चावल भरकर रखें। यह थाली एक साफ स्थान पर होनी चाहिए, और जहां ज्योति जल रही हो, वहां ताला नहीं लगाना चाहिए।
अखंड ज्योति की देखभाल
अखंड ज्योति की देखभाल करना आवश्यक है। यह सुनिश्चित करें कि दीपक में पर्याप्त घी भरा हो, ताकि यह तीन-चार घंटे तक जलता रहे। यदि आप देख पाएं कि ज्योति धीमी हो रही है या बुझने वाली है, तो तुरंत घी भरें।
समाप्ति का तरीका
अखंड ज्योति को समाप्त नहीं किया जाता। यह अपने आप कन्या पूजन के बाद समाप्त होती है। यदि किसी कारणवश आप अपने घर में अखंड ज्योति नहीं जला पा रहे हैं, तो एक अच्छा विकल्प है कि आप किसी मंदिर में अपने नाम से अखंड ज्योति की सामग्री दान करें। यह दान आपके अच्छे कर्मों को बढ़ावा देगा और मां की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम बनेगा।


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