भारत ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के संबोधन की निंदा की

नई दिल्ली, शनिवार, 28 सितम्बर 2024। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान की तीखी आलोचना करते हुए दुनिया को उसके आतंकवाद को बढ़ावा देने, अल-कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन को पनाह देने और तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान में लाखों बंगालियों के नरसंहार तथा अल्पसंख्यकों पर उत्पीड़न के साथ ही सीमा पार आतंकवादी हमलों की याद दिलाई। संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारतीय युवा राजनयिक भाविका मंगलानंदन ने भारत पर निशाना साधने के लिए दिए गए अपने भाषण के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ पर हमला बोला जिसमे उन्होंने कश्मीर मुद्दा उठाया और ''इस्लामोफोबिया'' का आरोप लगाया था। उन्होंने दुनिया को पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद को हथियार के रूप में इस्तेमाल करने, 2001 में पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद द्वारा किए गए संसद हमले, 2008 में पाक स्थित लश्कर-ए-तैयबा द्वारा किए गए मुंबई हमलों और भारत पर अन्य आतंकी हमलों की याद दिलाई।
भाविका मंगलानंदन ने कहा, ''भारत के खिलाफ आतंकी हमलों की सूची लंबी है। ऐसे देश के लिए कहीं भी हिंसा के बारे में बोलना सबसे खराब पाखंडों में से एक है। उन्होंने कहा कि चुनावों में धांधली के इतिहास वाले देश के लिए राजनीतिक विकल्पों के बारे में बात करना और भी असाधारण है, वह भी लोकतंत्र में, जबकि पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ लगातार यह आरोप लगाती रही है कि पाकिस्तान में फरवरी 2024 के आम चुनावों में उनकी पार्टी को बाहर रखने के लिए धांधली की गई।
सुश्री मंगलानंदन ने कहा, ''वास्तविक सच्चाई यह है कि पाकिस्तान को हमारे क्षेत्र का लोभ है और वास्तव में उसने भारत के अविभाज्य और अभिन्न अंग जम्मू-कश्मीर में चुनावों को बाधित करने के लिए लगातार आतंकवाद का इस्तेमाल किया है। आतंकवाद से कोई समझौता नहीं हो सकता। उन्होंने कहा, ''यह हास्यास्पद है कि एक राष्ट्र जिसने 1971 में नरसंहार किया था और एक राष्ट्र जो अपने अल्पसंख्यकों पर अत्याचार करता है, वह अब भी असहिष्णुता और भय के बारे में बोलने की हिम्मत कर रहा है। दुनिया खुद देख सकती है कि पाकिस्तान वास्तव में क्या है।
उन्होंने कहा , ''हम एक ऐसे देश के बारे में बात कर रहे हैं जिसने लंबे समय तक ओसामा बिन लादेन की मेजबानी की। एक ऐसा देश जिसकी उंगलियों के निशान दुनिया भर में कई आतंकवादी घटनाओं पर हैं, एक ऐसा देश जिसकी नीतियां कई समाजों के अवशेषों को अपना घर बनाने के लिए आकर्षित करती हैं। शायद इसमें कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए कि वहां के प्रधानमंत्री इस पवित्र हॉल में ऐसा बोलेंगे। फिर भी हमें यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके शब्द हम सभी के लिए कितने अस्वीकार्य हैं। हम जानते हैं कि पाकिस्तान सच्चाई का मुकाबला और अधिक झूठ से करना चाहेगा।'' उन्होंने जोर दिया कि दोहराव से कुछ नहीं बदलेगा और हमारा रुख स्पष्ट है तथा इसे दोहराने की जरूरत नहीं है।


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