दिल्ली की अदालत ने अतिक्रमण मामले में पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की याचिका खारिज की

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नई दिल्ली, रविवार, 01 सितम्बर 2024। दिल्ली की एक सत्र अदालत ने भूमि अतिक्रमण मामले में मजिस्ट्रेट अदालत द्वारा 2018 में छह महीने कैद की सजा सुनाए जाने के खिलाफ कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान की अपील खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि जनप्रतिनिधि के रूप में सत्ता का दुरुपयोग एक गंभीर अपराध है और यह जनता के विश्वास को तोड़ने वाला कृत्य है। अदालत जसोला में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) की भूमि पर अतिक्रमण के मामले में सजा के आदेश के खिलाफ खान की अपील पर सुनवाई कर रही थी। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल सिंह ने कहा कि कोई भी कम सजा पूरी तरह से अनुचित और अपराध की गंभीरता के अनुरूप नहीं होगी और निर्देश दिया कि खान को सजा काटने के लिए न्यायिक हिरासत में ले लिया जाए।

हालांकि, अदालत ने छह महीने की सजा के आदेश को संशोधित कर दिया, ताकि उनके द्वारा बिताई गई हिरासत की अवधि को सजा में समायोजित किया जा सके। जनवरी 2018 में मजिस्ट्रेट अदालत ने खान को भारतीय दंड संहिता की धारा 427 (पचास रुपये या उससे ज्यादा की राशि का नुकसान पहुंचाने वाला कृत्य), 447 (अतिक्रमण के लिए सजा), 434 (सार्वजनिक प्राधिकार द्वारा निर्धारित किसी महत्वपूर्ण स्थल को नष्ट करने या स्थानांतरित करने का कृत्य) और सार्वजनिक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत अपराधों के लिए दोषी ठहराया था। अदालत ने फिर पांच फरवरी, 2018 को अपराधों के लिए उन्हें छह महीने के कारावास की सजा सुनाई थी।

दोषसिद्धि और सजा के आदेश के खिलाफ खान ने अपील दायर की। अदालत ने 28 अगस्त को पारित आदेश में खान की इस दलील को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया कि जसोला गांव में डीडीए की जमीन पर कोई अतिक्रमण नहीं हुआ था। अदालत ने कहा, ‘‘अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही और दस्तावेजी साक्ष्यों के मद्देनजर अभियोजन पक्ष अपीलकर्ता (खान) के खिलाफ अपराध को साबित करने में सफल रहा। इस दलील में कोई दम नहीं है कि जांच अधिकारी ने उखाड़े गए कंटीले तारों को जब्त नहीं किया और कथित अतिक्रमण की कोई तस्वीर नहीं ली गई।’’ इसने कहा कि मजिस्ट्रेट अदालत ने उन्हें दोषी ठहराने के लिए ‘‘सबूतों का सही मूल्यांकन किया’’ और फैसला तर्कसंगत था, इसलिए दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती देने वाली वर्तमान अपील खारिज की जाती है।

शनिवार को सुनाए गए अपने आदेश में अदालत ने खान के ‘परिवीक्षा’ अनुरोध को खारिज करते हुए कहा, ‘‘यह पाया गया है कि दोषी आसिफ मोहम्मद खान द्वारा सरकारी भूमि पर अतिक्रमण करने में एक जनप्रतिनिधि के रूप में शक्ति का दुरुपयोग एक बहुत गंभीर अपराध है।’’ अदालत ने कहा, ‘‘यह दोषी पर जनता द्वारा जताया गया भरोसा तोड़ने का सबसे बड़ा उदाहरण है, जिसने उन्हें जनता के कल्याण और हितों की रक्षा के लिए चुना था, न कि कानून का उल्लंघन करने, अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने और अपने हित के लिए काम करने। निचली अदालत द्वारा दी गई सजा से कम कोई भी सजा पूरी तरह से अनुचित और अपराध की गंभीरता के अनुपात में असंगत होगी।’’

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