वट सावित्री व्रत में क्यों होती है बरगद की पूजा?
इस बार वट सावित्री व्रत 6 जून, बृहस्पतिवार को रखा जाएगा. हिंदू परंपरा में महिलाऐं अपने पति की दीर्घायु एवं सुखद वैवाहिक जीवन के लिए तमाम व्रत का पालन करती हैं. वट सावित्री व्रत भी सौभाग्य प्राप्ति का एक बड़ा व्रत है. ये व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के मुताबिक, इस बार अमावस्या तिथि की शुरुआत 5 जून को रात 7 बजकर 54 मिनट पर होगी तथा समापन 6 जून को शाम 6 बजकर 07 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार, इस बार वट सावित्री का व्रत 6 जून को ही रखा जाएगा.
इस व्रत में क्यों होती है बरगद की पूजा
वट वृक्ष (बरगद) एक देव वृक्ष माना जाता है. ब्रह्मा, विष्णु, महेश और ,सावित्री भी वट वृक्ष में रहते हैं. प्रलय के अंत में श्री कृष्ण भी इसी वृक्ष के पत्ते पर प्रकट हुए थे. तुलसीदास ने वट वृक्ष को तीर्थराज का छत्र कहा है. ये वृक्ष न सिर्फ अत्यंत पवित्र है बल्कि काफी ज्यादा दीर्घायु वाला भी है. लंबी आयु, शक्ति, धार्मिक महत्व को ध्यान में रखकर इस वृक्ष की पूजा होती है. पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए इस वृक्ष को अधिक महत्व दिया गया है.
क्या करें विशेष?
एक बरगद का पौधा अवश्य लगवाएं. बरगद का पौधा लगाने से पारिवारिक तथा आर्थिक समस्या नहीं होगी. निर्धन सौभाग्यवती महिला को सुहाग की सामग्री का दान करें. बरगद की जड़ को पीले कपड़े में लपेटकर अपने पास रखें.
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