आज इस आरती से संपन्न करें काल भैरव की पूजा

img

प्रत्येक माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी (Kalashtami) का व्रत रखा जाता है. कालाष्टमी को महादेव के रौद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है. ज्येष्ठ माह में कालाष्टमी का व्रत 30 मई को रखा जाएगा. कालाष्टमी पर व्रत रखने एवं काल भैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियां दूर रहती हैं. तो आइए आपको बताते हैं काल भैरव की पावन आरती और कालाष्टमी का महत्व...

काल भैरव की पावन आरती

  • जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा। जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
  • तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक। भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
  • वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी। महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
  • तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे। चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
  • तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी। कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
  • पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत। बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
  • बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें। कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।

कालाष्टमी का महत्व

पौराणिक कथाओं के मुताबिक, कालभैरव अष्टमी पर ही भगवान कालभैरव पृथ्वी पर अवतरित हुए थे. यह देवता विनाश से जुड़े हैं. काल भैरव के भक्तों द्वारा उनकी पूजा की जाती है. भगवान काल भैरव के भक्त उन्हें रक्षक मानते हैं. साथ ही यह भी मानते हैं कि काल भैरव की उपासना करने से भय निकट नहीं आता एवं कालाष्टमी पर व्रत रखने से लोगों को पुण्यफल की प्राप्ति होती है. तांत्रिक प्रथाओं में, काल भैरव को बटुक भैरव के रूप में पूजा जाता है. उनका वाहन कुत्ता है. इसलिए कुत्ते को मीठी रोटी और गुड़ खिलाना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है क्योंकि इससे भगवान भैरव प्रसन्न होते हैं.

Similar Post

LIFESTYLE

AUTOMOBILES

Recent Articles

Facebook Like

Subscribe

FLICKER IMAGES

Advertisement