अक्षय तृतीया पर जरूर सुनें ये कथा, ख़त्म हो जाएगी हर अड़चन
इस बार अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई, शुक्रवार को मनाया जाएगा. हिंदू पंचांग के मुताबिक, वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया का त्योहार मनाया जाता है. अक्षय तृतीया के दिन विशेष वस्तुओं की खरीदारी तथा दान-धर्म का कार्य करना बेहद ही शुभ माना जाता है. किन्तु, इस दिन सोना खरीदना भी बेहद शुभ बताया गया है. इस बार अक्षय तृतीया बहुत ही विशेष मानी जा रही है क्योंकि इस बार अक्षय तृतीया पर धन योग, गजकेसरी योग, शुक्रादित्य योग, रवि योग एवं सुकर्मा योग का निर्माण होने जा रहा है. ऐसी धार्मिक मान्यता है कि, अक्षय तृतीया के दिन कथा सुनने से लोगों को जीवन में जीने के लिए अधिक समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ता है तथा आने वालों कष्टों से भी छुटकारा प्राप्त होता है. इसके अतिरिक्त जीवन को आगे बढ़ाने के लिए नई राह प्राप्त होती है.
अक्षय तृतीया की कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक, शाकल नगर में धर्मदास नामक वैश्य रहता था. धर्मदास स्वभाव से आध्यात्मिक प्रकृति का था एवं नियमित रूप से देवताओं और ब्राह्मणों का पूजन किया करता था. एक दिन धर्मदास ने अक्षय तृतीया के दिन की महिमा एवं इस दिन किए गए दान के महत्व के बारे में सुना. तत्पश्चात, उस वैश्य ने अक्षय तृतीया के दिन गंगा स्नान कर सबसे पहले अपने पितरों का तर्पण किया तथा उसके बाद विधि विधान से भगवान का पूजन किया एवं ब्राह्मणों को अन्न, सत्तू, दही, चना, गेहूं, गुड़, आदि का पूरी श्रद्धा के साथ दान दिया.
धर्मदास की पत्नी के मना करने के बाद भी वो हर बार दान अवश्य करता था. कुछ वक़्त पश्चात् उसकी मृत्यु हो गई एवं उसे पुनर्जन्म में राजयोग प्राप्त हुआ तथा वो द्वारका के कुशावती नगर का राजा बना. कहा जाता है कि ये सब उसके पिछले जन्म में किए गए दान-पुण्य और शुभ कार्यों के कारण हुआ. अक्षय तृतीया के दिन इस कथा के सुनने से लोगों को अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति होती है.
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