14 मार्च से एक माह के लिए लगेगा मलमास

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14 मार्च से खरमास यानि मलमास लग रहा है, जो आगामी 13 अप्रैल तक रहेगा। ऐसे में इस एक माह तक शादी, मुंडन, गृह प्रवेश, नींव मुहूर्त सहित कोई भी शुभ कार्य नहीं होंगे। इसके बाद फिर 14 अप्रैल से शुभ कार्यों के लिए मुहूर्त शुरू होंगे। इससे पूर्व मंगलवार को सूर्य देव मीन राशि में प्रवेश कर गए हैं। धनु और मीन राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। सूर्य के सम्पर्क में आने से देवगुरु बृहस्पति का शुभ प्रभाव कम या क्षीण हो जाता है। अत: सूर्य देव के धनु या मीन राशि में गोचर करने के दौरान खरमास लगता है। ऐसे में शास्त्रों के अनुसार धार्मिक मान्यता है कि खरमास में किसी भी तरह का शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।

14 मार्च को सूर्य दोपहर 12.36 मिनट पर कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के कुंभ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास शुरू होगा। इस दौरान सूर्य देव 17 मार्च को उत्तराभाद्रपद और 31 मार्च को रेवती नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इसके बाद 13 अप्रैल को सूर्य देव मीन राशि से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेंगे। सूर्य देव के मेष राशि में प्रवेश करने के साथ ही खरमास समाप्त हो जाएगा। गौरतलब है कि एक वर्ष में दो बार खरमास लगता है। एक खरमास मध्य मार्च से मध्य अप्रैल के बीच और दूसरा खरमास मध्य दिसम्बर से मध्य जनवरी तक होता है। इस मास में कोई शुभ कार्य नहीं किया जाता है।

सूर्य एक मात्र प्रत्यक्ष देवता और पंचदेवों में से एक है। किसी भी शुभ काम की शुरूआत में गणेश जी, शिव जी, विष्णु जी, देवी दुर्गा और सूर्यदेव की पूजा की जाती है। जब सूर्य अपने गुरु की सेवा में रहते हैं तो इस ग्रह की शक्ति कम हो जाती है। साथ ही सूर्य की वजह से गुरु ग्रह का बल भी कम हो जाता है। इन दोनों ग्रहों की कमजोर स्थिति की वजह से मांगलिक कर्म न करने की सलाह दी जाती है। विवाह के समय सूर्य और गुरु ग्रह अच्छी स्थिति में होते हैं तो विवाह सफल होने की सम्भावनाएँ काफी रहती हैं।

दान करने से तीर्थ स्नान जतिना पुण्य फल मिलता है। इस महीने में निष्काम भाव से ईश्वर के नजदीक आने के लिए जो व्रत किए जाते हैं, उनका अक्षय फल मिलता है और व्रत करने वाले के सभी दोष खत्म हो जाते हैं। इस दौरान जरूरतमंद लोगों, साधुजनों और दुखियों की सेवा करने का महत्व है। खरमास में दान के साथ ही श्राद्ध और मंत्र जाप का भी विधान है। पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को धन, लाभ, अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल का दान जरूर करें। किसी गोशाला में हरी घास और गायों की देखभाल के लिए अपने सामर्थ्य के अनुसार दान कर सकते हैं।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार खरमास में विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन आदि मांगलिक कार्यों के लिए शुभ मुहूर्त नहीं रहते हैं। इन दिनों में मंत्र जाप, दान, नदी स्नान और तीर्थ दर्शन करने की परम्परा है। इस परम्परा की वजह से खरमास के दिनों में सभी पवित्र नदियों में स्नान के लिए काफी अधिक लोग पहुँचते हैं। साथ ही पौराणिक महत्व वाले मंदिरों में भक्तों की संख्या बढ़ जाती है। खरमास पूजा पाठ के नजरिए से पुण्यदायी है। इस महीने में शास्त्रों का पाठ करने की परम्परा है।

सूर्य करते हैं अपने गुरु की सेवा

गुरु ग्रह बृहस्पति धनु और मीन राशि के स्वामी हैं। सूर्य ग्रह सभी 12 राशियों में भ्रमण करता है और एक राशि में करीब एक माह ठहरता है। इस तरह सूर्य एक साल में सभी 12 राशियों का एक चक्कर पूरा कर लेता है। इस दौरान सूर्य जब धनु और मीन राशि में आता है, तब खरमास शुरू होता है। इसके बाद सूर्य जब इन राशियों से निकलकर आगे बढ़ जाता है तो खरमास समाप्त हो जाता है। ज्योतिष की मान्यता है कि खरमास में सूर्य देव अपने गुरु बृहस्पति के घर में रहते हैं और गुरु की सेवा करते हैं।

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