मानव-पशु संघर्ष: आंकड़ों के अनुसार केरल में मरने वालों की संख्या में गिरावट आई

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तिरुवनंतपुरम, रविवार, 25 फ़रवरी 2024। केरल में विशेषकर पहाड़ी जिले वायनाड में, जान-माल को खतरे में डालने वाले जंगली जानवरों के हमलों के खिलाफ बढ़ते विरोध प्रदर्शनों के बीच राज्य के वन विभाग के हालिया आंकड़ों से पता चला है कि पिछले तीन वर्षों में मानव-पशु संघर्ष के परिणामस्वरूप लोगों की जान जाने के मामलों में उल्लेखनीय गिरावट आई है। ‘पीटीआई-भाषा’ के पास उपलब्ध वन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, 2023-2024 की अवधि के दौरान केरल में हाथियों के हमलों के कारण होने वाली मौतों की संख्या 2021-2022 में दर्ज की गई संख्या की तुलना में कम रही। आंकड़ों के अनुसार केरल में 2023-2024 के दौरान हाथियों के हमलों में 17 लोगों की मौत हुई जबकि 2022-2023 में 27 और 2021-2022 में 35 लोगों की जान गई थी। मानव-पशु संघर्ष के लिए कुख्यात ओडिशा, झारखंड और कर्नाटक जैसे राज्यों की तुलना में ये संख्याएं बहुत कम हैं। झारखंड में वन विभाग के सूत्रों के अनुसार, हाथियों के हमलों में हर साल औसतन 100 से अधिक लोग मारे जाते हैं। कर्नाटक वन विभाग के अनुसार पिछले पांच वर्षों में मानव-हाथी संघर्ष के कारण 148 लोगों की मृत्यु हुई।

इसके अतिरिक्त, ओडिशा, असम और पश्चिम बंगाल में पांच साल की अवधि में मानव-पशु संघर्ष में क्रमशः 499, 385 और 358 लोगों की मौत हुई। केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन के जवाब में ये आंकड़े उपलब्ध कराए हैं। वर्तमान अनुमान के अनुसार, केरल में हाथियों की संख्या लगभग 2,000 से 2,500 है। केरल के प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्यजीव वार्डन (पीसीसीएफ और सीडब्ल्यूडब्ल्यू) डी. जयप्रसाद ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा कि हमने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय से न केवल वायनाड बल्कि तमिलनाडु और कर्नाटक के पड़ोसी वन क्षेत्रों में भी पशुओं की मौजूदगी का अध्ययन करने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा, “हमने उनसे कहा है कि यदि अध्ययन में क्षमता से अधिक जानवर पाए जाते हैं, तो हम उन्हें स्थानांतरित कर देंगे।”

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