मकर संक्रांति पर इस आरती और मंत्र के साथ करें सूर्य भगवान की पूजा, पूरी होगी हर मनोकामना

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नए वर्ष में मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी सोमवार को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन सूर्योदय के समय स्नान करें तथा उसके पश्चात् सूर्य देव को जल अर्पित करें. सूर्य देव को जल में लाल पुष्प, लाल चंदन एवं गुड़ डालकर अर्घ्य देना चाहिए. इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. मकर संक्रांति का पर्व ग्रहों के राजा सूर्य देव की पूजा के लिए है. उस दिन से खरमास का समापन होता है. साल 2024 में मकर संक्रांति 15 जनवरी 2024, सोमवार के दिन मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य देव प्रातः 02 बजकर 54 मिनट पर धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेंगे। 

मकर संक्रांति पर सूर्य पूजा का महत्व:-

  • मकर सक्रांति को महापर्व भी कहा जाता है। इस खास दिन पर सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। ऐसे में व्यक्ति को इस दिन सूर्य पूजा से कई लाभ हो सकते हैं। मकर सक्रांति पर पूरे विधि-विधान के साथ सूर्य पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके साथ ही व्यक्ति की आयु में भी वृद्धि होती है एवं सेहत अच्छी बनी रहती है। इसके साथ ही यह भी माना गया है कि रवि योग में सूर्य देव की पूजा करने से व्यक्ति को अपने कार्य में कामयाबी प्राप्त होती है।

मकर संक्रांति पूजा विधि

  • मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का खास महत्व है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर गंगा स्नान करें, साफ-सुथरे कपड़े धारण कर भगवान सूर्य की आराधना करें. इस दिन तांबे के कलश में गंगाजल लेकर उसमें तिल, लाल रंगे के फूल, अक्षत एवं सिंदूर डालकर चढ़ाएं. इस दिन आप भगवान सूर्य की आराधना नीचे दिए गए मंत्र व आरती से करें.

मकर संक्रांति के दिन करें इन मंत्रों का जाप 

ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः
ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ
ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणाय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घ्य दिवाकर:

मकर संक्रांति विशेष आरती-

ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।
।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।
ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।
धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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