आबकारी नीति घोटाला: कोर्ट ने आप सांसद संजय सिंह की जमानत याचिका पर ईडी से मांगा जवाब
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नई दिल्ली, सोमवार, 08 जनवरी 2024। दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली आबकारी नीति ‘घोटाले’ से संबंधित धन शोधन मामले में गिरफ्तार आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद संजय सिंह की जमानत याचिका पर सोमवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से जवाब मांगा। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांत शर्मा ने जांच एजेंसी को नोटिस जारी किया और मामले में अगली सुनवाई के लिए 29 जनवरी की तारीख तय की। पिछले साल चार अक्टूबर को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए राज्यसभा सदस्य ने धन शोधन मामले में अपनी जमानत याचिका खारिज करने के निचली अदालत के 22 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी है। सिंह की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मोहित माथुर ने कहा कि वरिष्ठ आप नेता पिछले तीन महीने से हिरासत में हैं और इस अपराध में उनकी कोई भूमिका सामने नहीं आई है। उन्होंने कहा कि ईडी के ‘स्टार गवाह’ के बयान के बाद सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
ईडी ने आरोप लगाया है कि सिंह ने अब खत्म हो चुकी आबकारी नीति के निर्माण और कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जिससे कुछ शराब निर्माताओं, थोक विक्रेताओं और खुदरा विक्रेताओं को धन लाभ हुआ। निचली अदालत ने कहा था कि वह ‘अपराध से दो करोड़ रुपये तक की अर्जित आय’ के मामले से जुड़े हुए थे और उनके खिलाफ मामला ‘वास्तविक’ था। यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण और इसे लागू करने में कथित भ्रष्टाचार से संबंधित है, जिसे बाद में रद्द कर दिया गया था। उपराज्यपाल वी. के. सक्सेना की सिफारिश के बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित भ्रष्टाचार को लेकर प्राथमिकी दर्ज की।
निचली अदालत ने कहा था कि प्रवर्तन निदेशालय के ‘मूल मामले’ को उच्चतम न्यायालय ने ‘मंजूरी’ दी थी, जिसने इस बात का भी ‘समर्थन’ किया था कि 2021-22 के दिल्ली सरकार की आबकारी नीति के निर्माण के लिए रिश्वत का भुगतान किया गया था। अदालत ने सिंह की दलीलों को खारिज कर दिया था कि उन्हें धन शोधन मामले में आरोपी नहीं बनाया जा सकता क्योंकि सीबीआई द्वारा मुख्य प्राथमिकी में उनका नाम नहीं है। निचली अदालत ने कहा था कि समीर महेंद्रू, अमित अरोड़ा, विजय नायर, अरुण रामचंद्रन पिल्लई, अमनदीप ढल और अभिषेक बोइनपल्ली सहित अन्य आरोपियों की जमानत याचिकाएं पहले ही खारिज कर दी गई थीं और आवेदनों को खारिज करते समय उच्च न्यायालय द्वारा धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों की इसकी व्याख्या को खारिज नहीं किया गया था। अदालत ने कहा कि ईडी ने दिखाया कि आरोपी से सरकारी गवाह बने दिनेश अरोड़ा ने सिंह को दो करोड़ रुपये का भुगतान किया था।
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