कश्मीर के राजनीतिक दलों ने मीरवाइज उमर फारूक की रिहाई का स्वागत किया

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श्रीनगर, शुक्रवार, 22 सितम्बर 2023। कश्मीर के राजनीतिक दलों ने 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के मद्देनजर हुर्रियत कांफ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को चार साल से अधिक समय से नजरबंदी से रिहा किए जाने का शुक्रवार को स्वागत किया। नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने उम्मीद जताई कि मीरवाइज को स्वतंत्र रूप से घूमने, लोगों के साथ बातचीत करने और अपनी सामाजिक और धार्मिक जिम्मेदारियों को फिर से शुरू करने की अनुमति दी जाएगी।

पूर्व मुख्यमंत्री ने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंदी से रिहा करने के लिए जम्मू-कश्मीर प्रशासन द्वारा उठाए गए कदम का स्वागत करता हूं। मुझे उम्मीद है कि वे उन्हें स्वतंत्र रूप से घूमने, लोगों के साथ बातचीत करने और अपनी सामाजिक व धार्मिक जिम्मेदारियों को फिर से शुरू करने की अनुमति देंगे। आज कश्मीर में नजरें मीरवाइज पर होंगी क्योंकि वह 2019 के बाद पहली बार जामिया मस्जिद में अपना संदेश देंगे।’’

एक अन्य पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी मीरवाइज की रिहाई का स्वागत किया। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख ने कहा, ‘‘हिरासत में लिए जाने के बारे में एलजी प्रशासन के वर्षों के इनकार के बाद आखिरकार मीरवाइज उमर फारूक को रिहा किया गया। एक धार्मिक प्रमुख के रूप में उन्हें पूरे जम्मू और कश्मीर के मुसलमानों द्वारा उच्च सम्मान दिया जाता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि उनकी रिहाई का श्रेय लेने के लिए भाजपा के विभिन्न राजनीतिक संगठनों के बीच पहले ही खींचतान शुरू हो गई है।’’

‘अपनी पार्टी’ के प्रमुख अल्ताफ बुखारी ने उम्मीद जताई कि मीरवाइज बेहतर और शांतिपूर्ण कल के लिए समाज को सकारात्मक तरीके से आकार देने में अपनी भूमिका निभाएंगे। उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘मैं ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में मीरवाइज उमर फारूक को जुमे की नमाज का नेतृत्व करने की अनुमति देने के फैसले के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा को धन्यवाद देना चाहता हूं। उम्मीद है कि मीरवाइज साहब बेहतर और शांतिपूर्ण कल के लिए समाज को सकारात्मक तरीके से आकार देने में अपनी भूमिका निभाएंगे।’’ डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) के मुख्य प्रवक्ता सलमान निजामी ने नजरबंद किए गए सभी मौलवियों की रिहाई की मांग की।

उन्होंने कहा, ‘‘आज, सरकार ने मीरवाइज उमर फारूक साहिब को श्रीनगर में ऐतिहासिक जामिया मस्जिद में सामूहिक नमाज का नेतृत्व करने की अनुमति देने का फैसला किया है। यह एक स्वागत योग्य कदम है और हम बार-बार मौलवियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं जो हमारे समाज में बेहद प्रभावशाली हैं। अगर उनके ज्ञान और प्रभाव का सकारात्मक उपयोग किया जाता है तो वे हमारे युवाओं पर पर्याप्त प्रभाव डाल सकते हैं। हम एक बार फिर सभी मौलवियों की रिहाई की मांग करते हैं ताकि उनके प्रयासों का सकारात्मक परिणाम के लिए इस्तेमाल किया जा सके।’’ उमर फारूक की नजरबंदी चार साल बाद शुक्रवार को हटा दी गई और उन्हें रिहा कर दिया गया। फारूक को अगस्त 2019 में संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधान रद्द किए जाने के मद्देनजर नजरबंद किया गया था।

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