बिहार के वर्ष 2015 के जाली नोट मामले में छठे आरोपी को दोषी ठहराया गया

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नई दिल्ली, बुधवार, 06 सितम्बर 2023। बिहार की एक विशेष अदालत ने वर्ष 2015 के पूर्वी चंपारण जाली नोट मामले में एक व्यक्ति को दोषी ठहराया है। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) के एक प्रवक्ता ने बुधवार को यह जानकारी दी। प्रवक्ता ने बताया कि पटना की विशेष एनआईए अदालत में मुन्ना सिंह (46) ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया। उस पर भारतीय दंड संहिता और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत आरोप लगाए गए थे। वह इस मामले में दोषी ठहराया गया छठा आरोपी है।

उन्होंने बताया कि अदालत मुन्ना को सजा 11 सितंबर को सुनाएगी। जाली नोट का यह मामला 19 सितंबर, 2015 को दर्ज किया गया था। एनआईए ने 23 दिसंबर को जांच के लिए यह मामला अपने हाथ में लिया था। इसमें एजेंसी अबतक आठ आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। इनमें से पांच लोगों को पूर्व में दोषी ठहराया जा चुका है। इस मामले में दस आरोपी थे। यह मामला अफरोज अंसारी के पास से 5.94 लाख रुपये के जाली नोटों की जब्ती से संबंधित है।

प्रवक्ता ने बताया कि राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने पूर्वी चंपारण के मोतीहारी जिले में रामगढ़वा के पास से अंसारी को पकड़ा था। वह जाली नोटों की खेप लेकर नेपाल में उनकी आपूर्ति के लिए भारत-नेपाल सीमा के निकट रक्सौल (पूर्वी चंपारण) जा रहा था। एनआईए ने गिरफ्तार आठ आरोपियों के खिलाफ वर्ष 2016 से 2023 के बीच आरोप पत्र दाखिल किए।

उन्होंने बताया कि इनमें से चार आरोपियों – अफरोज अंसारी, सनी कुमार उर्फ ​​सनी शॉ उर्फ सुजीत कुमार उर्फ कबीर खान, अशरफुल आलम उर्फ इशराफुल आलम और आलमगीर शेख उर्फ राजू को विशेष एनआईए अदालत ने अक्टूबर, 2018 में दोषी ठहराया था। अधिकारी ने बताया कि इन दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई और प्रत्येक पर 30,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया । अन्य आरोपी रईसुद्दीन को पांच हजार रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी।

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