मणिपुर पर मोदी का मौन तोड़ने के लिए है यह अविश्वास प्रस्ताव, मुख्यमंत्री को हटाया जाए: विपक्ष
नई दिल्ली, मंगलवार, 08 अगस्त 2023। कांग्रेस ने मंगलवार को कहा कि मणिपुर मामले पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का मौन तोड़ने के लिए विपक्ष को लोकसभा में उनकी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का कदम उठाना पड़ा क्योंकि प्रधानमंत्री का बयान सरकार के किसी मंत्री के बयान के ज्यादा वजन रखता है। प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्षी सदस्यों ने मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर स्थिति को काबू पाने में विफल रहने का आरोप लगाते हुए उन्हें हटाये जाने की मांग की। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए सदन में कांग्रेस दल के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा, ''यह प्रस्ताव मणिपुर मुद्दे पर प्रधानमंत्री जी का मौन तोड़ने के लिए लाया गया है। प्रधानमंत्री ने सदन के सामने राज्य की स्थिति पर बयान दिया होता तो यह स्थिति न आती। '' उन्होंने कहा कि मोदी को स्वीकार करना चाहिए कि मणिपुर में उनकी डबल इंजन सरकार विफल हो गयी।
उन्होंने प्रधानमंत्री के सामने तीन सवाल रखते हुए कहा , ''प्रधानमंत्री मणिपुर अब तक क्यों नहीं गये, ... उन्होंने मणिपुर 30 सेंकेड का बयान दिया, इसमें 80 दिन क्यों लग गये। उन्होंने अब तक मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की सरकार को बर्खास्त क्यों नहीं किया। गोगोई ने कहा कि मणिपुर विभाजित हुआ है , यह केवल पूर्वोत्तर के किसी एक राज्य का मुद्दा नहीं है बल्कि यह पूरे भारत का मुद्दा है। उन्होंने मणिपुर के मुद्दे को न्याय का मुद्दा बताते हुए अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन के पुरोधा स्वर्गीय मार्टिन लूथर किंग की इस प्रसिद्ध युक्ति को उद्धृत किया, अगर एक जगह इंसाफ नहीं हो रहा है तो कहीं भी इंसाफ नहीं है। अविश्वास प्रस्ताव पर प्रधानमंत्री मोदी गुुरुवार को जवाब देंगे।
गोगोई ने कहा, ''मणिपुर के युवा , किसान और महिलायें आज इंसाफ मांग रही हैं। आज मणिपुर जल रहा है, मणिपुर भारत का हिस्सा है अगर वहां आग लगी है तो समझना चाहिए कि पूरे भारत में भी आग लगी है। उन्होंने कहा कि उनकी मांग की है कि देश का मुखिया होने के नाते प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सदन में आयें और मणिपुर पर कुछ कहें। सदन को ऐसी अपेक्षा थी कि लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रधानमंत्री ने मणिपुर मुद्दे पर मौन व्रत ले लिया लेकिन अफसाेस ऐसा नहीं हुआ। वह न राज्यसभा में गये और न ही लोकसभा में आये।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड, गुजरात , त्रिपुरा के चुनावों के मद्देनजर मुख्यमंत्री बदले जा सकते हैं लेकिन इतनी हिंसा के बावजूद मणिपुर के मुख्यमंत्री को बदला नहीं गया। कांग्रेस नेता ने कहा कि वह मणिपुर गये वहां के हालात देखकर उन्हें बहुत दुख हुआ। वहां समाज के बीच बंटवारा है। समाज का एक वर्ग पहाड़ पर रह रहा है और दूसरा वर्ग घाटी में रह रहा है। उन्होंने कहा, ''आज दो मणिपुर बन गये हैं। उन्होंने कहा, वह शासक के लिए अटल जी की राजधर्म निभाने की सलाह याद दिलाना चाहते हैं।
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