मणिपुर यौन उत्पीड़न मामले में शुक्रवार को सुनवाई नहीं

नई दिल्ली, शुक्रवार, 28 जुलाई 2023। उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ के शुक्रवार को उपलब्ध नहीं होने के कारण उनकी अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष होने वाली मणिपुर यौन हिंसा समेत अन्य मामलों की सुनवाई टाल दी गई। शीर्ष अदालत की ओर से एक बयान जारी कर यह जानकारी दी गई। केंद्र सरकार ने मणिपुर में जारी हिंसा के मामले में गुरुवार को अपना जवाब दाखिल किया था। शुक्रवार को उससे संबंधित मामले में सुनवाई होनी थी। केंद्र ने मणिपुर में दो महिलाओं के यौन उत्पीड़न और हिंसा घटनाओं को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को स्थानांतरित करने के फैसले से गुरुवार को उच्चतम न्यायालय को अवगत कराते हुए इस मामले की सुनवाई राज्य से बाहर छह महीने के भीतर करने का निर्देश देने की गुहार लगाई थी।
केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने शीर्ष अदालत के समक्ष तय सुनवाई से एक दिन पहले गुरुवार को दायर एक हलफनामे यह भी कहा है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना के सामने आने के बाद लगातार मामले की निगरानी की जा रही है। केंद्र सरकार ने अदालत के समक्ष कहा है कि उसका दृष्टिकोण महिलाओं के खिलाफ किसी भी स्तर के अपराध को बर्दाश्त नहीं करने की रही है। वह वर्तमान घटना को भी बहुत जघन्य मानती है। वह मानती है कि इस मामले को न केवल गंभीरता से लिया जाना चाहिए बल्कि समय पर तरीके से न्याय भी होना चाहिए, ताकि इसका असर महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों के संबंध में पूरे देश में निवारक प्रभाव पड़े।
केंद्र सरकार ने इन दलीलों के साथ शीर्ष अदालत से मामले की सुनवाई मणिपुर से बाहर स्थानांतरित करने करने की गुहार लगाते हुए कहा कि आरोप पत्र दाखिल होने के छह महीने के भीतर समयबद्ध तरीके से सुनवाई पूरी की जानी चाहिए। केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि वह उससे अनुरोध करती है कि विचाराधीन अपराध के मुकदमे सहित पूरे मामले को मणिपुर है से बाहर किसी भी राज्य में स्थानांतरित करने का आदेश दे। मणिपुर की महिलाओं से जुड़ी भयावह घटना का वायरल वीडियो सामने आने के बाद शीर्ष अदालत ने पिछले हफ्ते अटॉर्नी जनरल और सॉलिसिटर जनरल से कहा था कि यह अदालत ''बेहद से परेशान'' है। इसने केंद्र और मणिपुर सरकार से यह भी कहा था कि या तो अपराधियों को पकड़ें अन्यथा न्यायपालिका कार्रवाई करेगी। भल्ला ने लिखित जवाब में कहा है कि मणिपुर सरकार ने 26 जुलाई 2023 को सचिव, डीओपीएंडटी को मामले को आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंपने की सिफारिश की है, जिसे गृह मंत्रालय ने 27 जुलाई के पत्र के माध्यम से सचिव, डीओपीएंडटी को विधिवत सिफारिश की है। इस प्रकार जांच सीबीआई को सौंप दी जाएगी।


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