सूर्य देव की आराधना के लिए प्रसिद्ध है प्राचीन कटारमल मंदिर

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कटारमल सूर्य मन्दिर पूर्वाभिमुखी है और उत्तराखण्ड राज्य में अल्मोड़ा जिले के अधेली सुनार नामक गांव में स्थित है मंदिर के गर्भगृह का प्रवेश द्वार उच्‍चकोटि की काष्ठ कला से बना था, जो अब कुछ अन्य अवशेषों के साथ नई दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संग्रहालय में रखवा दिया गया है . मंदिर को एक ऊंचे वर्गाकार चबूतरे पर बनाया गया है आज भी इसके खंडित हो चुके ऊंचे शिखर को देखकर इसकी विशालता व वैभव का स्पष्ट अनुमान होता है इस मंदिर के बनने को लेकर ये कथा प्रचलित है कि सतयुग में उत्तराखण्ड की कन्दराओं में जब ऋषि-मुनियों पर धर्म पर आस्‍था ना रखने वाले एक असुर ने अत्याचार किये थे उस समय द्रोणगिरी कषायपर्वत और कंजार पर्वत के ऋषि मुनियों ने कौशिकी (जो अब कोसी नदी कहलाती है) के तट पर आकर सूर्य देव की स्तुति की थी तब ऋषि मुनियों की प्रार्थना से प्रसन्न होकर उन्‍होंने अपने दिव्य तेज को एक वटशिला में स्थापित कर दिया इसी वटशिला पर कत्यूरी राजवंश के शासक कटारमल ने बड़ादित्य नामक तीर्थ स्थान के रूप में इस सूर्य मन्दिर का निर्माण करवाया, जो अब कटारमल सूर्य मन्दिर के नाम से प्रसिद्ध है सोमवार को अश्‍विन नक्षत्र में सूर्य और चंद्रमा एक साथ आ रहा है ये योग बहुत शुभ होने के साथ ही 27 साल बाद आ रहा है तो आप चाहे तो इस मंदिर में जाकर सूर्य भगवन की आराधना कर उनको प्रसन्न कर सकते है और इस अद्भुत मंदिर  के दर्शन का आनंद भी ले सकते है 

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