केरल विधानसभा में विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक पेश

तिरुवनंतपुरम, बुधवार, 07 दिसम्बर 2022। केरल की वाम सरकार ने राज्यपाल को विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद से हटाकर उनकी जगह प्रख्यात शिक्षाविदों को इस पद पर नियुक्ति करने से संबंधित विवादित विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक बुधवार को विधानसभा में पेश किया। राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान और पिनराई विजयन सरकार के बीच विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति समेत विभिन्न मुद्दों पर टकराव जारी है, जिसके बीच कानून मंत्री पी. राजीव ने सदन में यह विधेयक पेश किया है।
विधेयक में कुलपति पद के लिए पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार सरकार कृषि और पशु चिकित्सा विज्ञान, प्रौद्योगिकी, चिकित्सा, समाज विज्ञान, मानविकी, साहित्य, कला, संस्कृति, कानून या लोक प्रशासन समेत विभिन्न क्षेत्रों के किसी शिक्षाविद या किसी प्रतिष्ठित व्यक्ति को विश्वविद्यालय का कुलपति नियुक्त कर सकती है।
हालांकि विपक्षी गठबंधन यूडीएफ के विधायकों ने कुछ आपत्तियां जताते हुए कहा कि अगर यह विधेयक पारित हो जाता है, तो इसे कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वी.डी. सतीशन ने कहा कि विधेयक जल्दबाजी में तैयार किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया, “विधेयक में कुलपति के लिए उम्र सीमा और न्यूनतम शैक्षिक योग्यता का कोई जिक्र नहीं है। इसका मतलब है कि सरकार अपनी मर्जी से किसी को भी इस शीर्ष पद पर बिठा सकती है। इससे विश्वविद्यालय की स्वायत्तता नष्ट होगी और वह महज सरकारी विभाग बनकर रह जाएगा।” हालांकि कानून मंत्री ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ की आपत्तियों को “राजनीतिक” बताकर खारिज कर दिया।


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